कम्युनिटी स्प्रेड की स्टेज में कोरोना संक्रमण
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना कम्युनिटी स्प्रेड के स्टेज में पहुंच चुका है। मुश्किल यह है कि इस बार वायरस रैपिड एंटीजन किट से हुई जांच में बहुत कम पकड़ में आ रहा है। इसकी पुष्टि के लिए आरटीपीसीआर जांच की जरूरत है। लेकिन ऐसी जांच के लिए प्रदेश भर केवल 14 प्रयोगशालाएं हैं। इनकी क्षमता केवल 10 हजार 500 नमूनों की जांच की है। ऐसे में लोगों को तीन-चार दिन की देरी से जांच रिपोर्ट मिल रही है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव खुद संक्रमण की चपेट में है। उनकी एंटीजन जांच निगेटिव आई थी। बाद में आरटीपीसीआर जांच में वे पॉजिटिव पाए गए थे। उनके सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए भुवनेश्वर भेजा गया है, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं आई है। रायपुर के महेश कुमार ने गुरुवार को कोरोना का एंटीजन टेस्ट कराया था। रिपोर्ट निगेटिव आई। अगले दिन उन्होंने आरटीपीसीआर कराया। दो दिनों बाद भी उनकी रिपोर्ट नहीं मिली है। चंगोराभााठा क्षेत्र की सरिता साहू भी दो दिनों से जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। उनका कहना है कि जांच की रिपोर्ट आ जाती तो तय करती कि घर में रहना है या फिर काम पर वापस लौटना है। इसके बिना निर्णय लेने में दिक्कत आ रही है। बुखार उतर गया है लेकिन घर वाले काम पर जाने से मना कर रहे हैं। यह स्थिति रायपुर की है, जहां दो सरकारी और तीन निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं में आरटीपीसीआर जांच की सुविधा है। जिन जिलों में ऐसी प्रयोगशाला नहीं है वहां के सैंपल नजदीकी जिले की प्रयोगशाला में आ रहे हंै। उन जिलों में अधिकतर जांच एंटीजन किट से ही हो रही है। पिछले एक सप्ताह में ही मरीजों की संख्या 1300 से बढ़कर 13 हजार का आंकड़ा पार कर गई है। अब जब केस बढ़े हैं तो कोरोना मरीजों की जांच का पूरा सिस्टम हांफने लगा है। जिम्मेदारों का कहना है, जैसे-जैसे लोगों की संख्या बढ़ेगी वैसे-वैसे जांच होने में विलंब की अवधि बढ़ती जाएगी।
अभी यहां हैं आरटीपीसीआर लैब
अभी रायपुर एम्स के अलावा राज्य सरकार के 9 मेडिकल कॉलेजों रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, अंबिकापुर, कोरबा, महासमुंद और कांकेर के वॉयरोलॉजी लैब में आरटीपीसीआर की सुविधा है। कोरिया के बैकुंठपुर में भी एक प्रयोगशाला काम कर रही है। इसके अलावा तीन निजी संस्थाओं को आरटीपीसीआर जांच की मान्यता है। इन सबको मिलाकर एक दिन में अधिकतम 10 हजार 500 नमूनों की ही जांच की जा सकती है।
पांच जिलों में प्रयोगशाला निर्माणाधीन
छत्तीसगढ़ में एपिडेमिक कंट्रोल के डाइरेक्टर डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, आरटीपीसीआर जांच की क्षमता सीमित है। इसको बढ़ाने की कोशिश हो रही है। अभी जशपुर, दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार, दुर्ग और जांजगीर में वायरोलॉजी लैब निमार्णाधीन हैं। जहां प्रयोगशालाएं हैं वहां भी संसाधन बढ़ाकर जांच की क्षमता बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। डॉ. मिश्रा ने बताया, आरटीपीसीआर के अलावा ट्रू-नॉट मशीनों की जांच से भी वायरस की पुष्टि हो रही है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में इन तीनों तरीकों से कोरोना की जांच हो रही है।
क्षमता बढ़ाने की कोशिश तेज-सिंहदेव
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, यहां एक दिन में 10 हजार 500 आरटीपीसीआर जांच की ही सुविधा है। रोजाना सैंपल लेने की क्षमता को बढ़ाकर हम 50 हजार तक पहुंच रहे हैं। जांच की क्षमता बढ़ाने की भी कोशिश जारी है। प्रयोगशालाओं में संसाधन बढ़ाने को कहा गया है। नई मशीनों और तकनीशियनों की व्यवस्था की जा रही है। रायपुर के लालपुर स्थित टीबी अस्पताल में भी फळढउफ मशीन है। उसका उपयोग भी कोरोना की जांच में करने का निर्देश दिया गया है। सिंहदेव ने कहा, अभी एहतियात ही रोकथाम का सबसे कारगर उपाय है। लक्षण दिखने पर जांच कराएं और रिपोर्ट आने तक खुद को आइसोलेट करें।