केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सलाह और मानक दिशानिर्देशों के अनुसार टीकाकरण के लाभों और संभावित दुष्प्रभावों के बारे में बताया जाता है। उन्हें गर्भावस्था के दौरान कोरोना संक्रमण के खतरों से भी अवगत कराया जाता है।
शीर्ष अदालत में दायर अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि कोरोना टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव को लेकर जारी दिशानिर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि टीकाकरण के बाद तय समय के बाद भी अगर किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव नजर आता है तो उसकी सूचना दी जाए।
केंद्र ने कहा है कि पिछले साल दो जुलाई को जारी सलाह एवं मानक दिशानिर्देशों के मुताबिक कोई महिला गर्भवती होने या स्तनपान कराने की बात बताती है तो टीका लगाने वाला कर्मचारी उसे गर्भावस्था के दौरान कोरोना संक्रमण के जोखिमों के साथ ही टीकाकरण के लाभों और संभावित प्रतिकूल प्रभावों की सूचना देता है। इस तरह सभी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं टीकाकरण के संभावित दुष्प्रभावों से अवगत होती हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की याचिका पर यह हलफनामा दायर किया गया है। याचिका में शीर्ष अदालत से आग्र्ह किया गया है कि वह केंद्र सरकार को गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कोरोना टीकाकरण के लिए अत्यधिक जोखिम वाली श्रेणी में रखे।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि कोविन प्लेटफार्म पर टीका लगवाने वाली गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की अलग श्रेणी है। इस तरह से ऐसी महिलाओं का पूरा आंकड़ा भी डाटाबेस में रहता है।