सु्प्रीम कोर्ट ने केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन पर त्रावणकोर के पूर्ववर्ती राजपरिवार के अधिकार को बरकरार रखा। सोमवार को न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने राजपरिवार की अपील मंजूर कर ली। इससे पहले राज परिवार ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। फिलहाल तिरुवनंतपुरम के जिला जज की अध्यक्षता वाली कमिटी मंदिर की व्यवस्था देखेगी।
दरअसल शीर्ष अदालत में केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर प्रबंधन और प्रशासन का विवाद नौ सालों से लंबित था। मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रु. की संपत्ति है। माना जाता है कि यह भारत का सबसे अमीर मंदिर है।
कुछ साल पहले यह मंदिर तब चर्चा में आया था जब एक लाख करोड़ से अधिक का खजाना मिला था, कहते हैं कि इससे कहीं अधिक खजाना वहां के तहखानों में बंद है। अब यह मंदिर फिर से चर्चाओं में है। 2016 में यहां से 186 करोड़ का सोना चोरी भी हो गया था।
इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में कराया गया था। हालांकि कहीं-कहीं इस मंदिर के 16वीं शताब्दी के होने का भी जिक्र है। यह साफ है कि 1750 में त्रावणकोर के एक योद्धा मार्तंड वर्मा ने आसपास के इलाकों को जीत कर संपदा बढ़ाई। त्रावणकोर के शासकों ने शासन को दैवीय स्वीकृति दिलाने के लिए अपना राज्य भगवान को समर्पित कर दिया था। उन्होंने भगवान को ही राजा घोषित कर दिया था। मंदिर से भगवान विष्णु की एक मूर्ति भी मिली है जो शालिग्राम पत्थर से बनी है।