
कांकेर। साहब मैं जिंदा हूं.. ये शब्द हैं उस 70 साल की बुजुर्ग महिला के जिसे सरकारी दस्तावेजों में मृत साबित कर उसकी जमीन हड़प ली गई है। धनगुडरा की रहने वाली यह बुजुर्ग महिला पिछले 6 सालों से स्वयं को जीवित साबित करने कोर्ट के चक्कर लगा रही है। सरकारी दस्तावेजों के दांव पेंच में फंसी महिला की जिंदगी उसके जिंदा होने के बाद भी उसे मृत बता रही है। महिला स्वयं के जिंदा होने की खुद ही गवाही दे रही है, लेकिन उसके पास जिंदा होने का वैसा दस्तावेजी सबूत नहीं है जैसा उसे दस्तावेज में मृत घोषित कर दिया गया है। मामला पिछले 6 साल से लंबित है। भानुप्रतापपुर से सटे गांव धनगुडरा संबलपुर निवासी प्यारी बाई को 1986 में सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया। जीवित महिला को दस्तावेजों में मारने की साजिश रच पूरा फर्जीवाड़ा उसकी जमीन हड़पने के लिए किया गया। महिला को मृत घोषित करने के बाद उसकी 9 एकड़ जमीन तत्कालीन कर्मचारियों ने मिलीभगत कर उसके कुनबे के ही चचेरे भाई ग्रहण पटेल के नाम से कर दी, जबकि महिला के तीन संतानें मौजूद थीं। इसके बाद जमीन मुझे मिली। प्यारी बाई के नाम से नामांतरण होने के साथ ही उसका पट्टा भी बन गया था।
70 साल की महिला को मृत घोषित करने की ऐसे हुई जानकारी
महिला ने बताया उसे दस्तावेजों में मृत होने की जानकारी तब सामने आई जब वह अपने पुत्र के बच्चों का जाति प्रमाण पत्र बनाने सरकारी कार्यालय पहुंची। जाति प्रमाण पत्र बनाने जमीन संबंधी पुराने रिकार्ड मांगे गए। जमीन के पुराने रिकॉर्ड निकालने पर पता चला उसकी मौत हो चुकी है और उसकी जमीन ग्रहण पटेल के नाम पर चढ़ा दी गई है। साल 2015-16 में मामले को लेकर सिविल कोर्ट में गए। तब से मामला वहां लंबित है। महिला ने कहा तब से खुद को जीवित साबित करने कोर्ट के चक्कर लगा रही है लेकिन अबतक न्याय नहीं मिला। प्यारी बाई के पुत्र धनराज पटेल ने कहा उसकी मां की जमीन को दूसरे लोगों ने हड़प लिया है। मेरी मां को मृत बताकर यह कृत्य किया गया है।
महिला करती रही खेती, इधर बिक गई जमीन
महिला ने बताया उक्त जमीन पर अभी उसके ही परिवार का कब्जा है क्योंकि उक्त जमीन दूसरे के नाम से होने की जानकारी ही नहीं थी। वर्तमान में उक्त जमीन पर वह परिवार के साथ खेती कर रही है। इधर उसे मृत घोषित कर जमीन को ग्रहण पटेल के नाम से कर दिया। उसकी मौत के बाद उसके बच्चों के नाम से चढ़ा दिया।