असम के नागांव प्रशासन ने एक पुलिस स्टेशन को जलाने में शामिल पांच परिवारों के घरों को बुलडोजर से ढहा दिया है। असम पुलिस ने सख्ती बरतते हुए इस मामले में चार महिलाओं समेत बीस लोगों को गिरफ्तार किया। राज्य के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत का कहना है कि हिरासत में हुई मौत के मामले में जलाए गए पुलिस स्टेशन बटद्रवा के प्रभारी को निलंबित किया गया है। पुलिस स्टेशन में आग लगाने के मामले में एसआइटी का गठन होगा। हिरासत में मौत मामले की अलग से जांच होगी।
जिला मजिस्ट्रेट ने नागांव जिले के सलोनाबरी गांव में अतिक्रमण हटाने का अभियान छेड़ दिया। इसी गांव में बटद्रवा थाने में आग लगाने वाले लोग रहते हैैं। इसलिए ऐसे पांच अवैध मकानों को चिन्हित करते हुए उन्हें ढहा दिया गया। गत शनिवार को महिलाओं, बच्चे, बूढ़ों समेत स्थानीय लोगों की हिसक भीड़ ने सफीकुल इस्लाम के हिरासत में प्रताड़ित करके मारने का आरोप लगाते हुए नागांव जिले के बटद्रवा पुलिस स्टेशन को आग लगाकर फूंक दिया था। इस वारदात के वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक महिला पुलिस थाने के सामने पार्क किए हुए दो पहिया वाहनों पर मिट्टी का तेल छिड़कर उनमें आग लगा रही है।
एसपी लीना डोले ने बताया कि असम पुलिस ने सफीकुल इस्लाम की हिरासत में मौत के मामले में स्थानीय लोगों के हमले में दो पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैैं। डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने एक विस्तृत फेसबुक पोस्ट में दावा किया कि पुुलिस स्टेशन पर हमला करने वाले लोगों का आपराधिक रिकार्ड है। हमलावर शोकाकुल रिश्तेदार नहीं बल्कि हिस्ट्रीशीटर थे। उन्होंने अपने आधिकारिक पेज पर घटना का ब्योरा देते हुए कहा कि 39 वर्षीय सफीकुल इस्लाम को 20 मई को रात साढ़े नौ बजे पुलिस स्टेशन सड़क से उठाकर लाया गया था। वह उस समय पूरी तरह से नशे में धुत था। उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। उसका मेडिकल चेकअप कराया गया और अगले दिन उसे उसकी पत्नी के हवाले कर दिया। पत्नी ने उसे भोजन भी कराया था। बाद में उसने अपनी तबियत बिगड़ने की बात कही और उसे अस्पताल ले जाया गया पर उसकी मौत हो गई।