सोनिया गांधी को भेजे पांच पेज के पत्र में गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी का सात बार नाम लिया है, लेकिन तारीफ करने के लिए नहीं, बल्कि उनकी खामियां गिनाने के लिए। ‘अपरिपक्व” और ‘बचकाना” जैसे विशेषणों के साथ उन पर प्रहार किए हैैं। आजाद ने एक जगह राहुल का नाम लिया है तो उन पर ‘अनुभवहीन चाटुकारों की मंडली” के जरिये पार्टी चलाने आरोप लगाया है। फिर कहा है कि सोनिया गांधी नाम की पार्टी अध्यक्ष हैैं और सभी महत्वपूर्ण फैसले राहुल गांधी या उनके पीए और सुरक्षा गार्ड द्वारा लिए जाते हैैं।
भरी प्रेस कांफ्रेंस में यूपीए सरकार के अध्यादेश फाड़ने का जिक्र किया है और राहुल की इस हरकत को सबसे ‘बचकाना” बताया है। साथ ही उसे 2014 में यूपीए की हार से जोड़ दिया है। राहुल नाम उन्हें ‘अगंभीर नेता” बताने के लिए भी लिया है और कहा कि उन्हें पार्टी पर थोपने की कोशिश की जा रही है। एक बार तब राहुल का नाम लिया है जब पार्टी के अंदर उनके काम करने के तरीके पर सवाल उठाए हैैं।
गहलोत बोले, संजय गांधी के चापलूस थे आजाद
गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे पर गांधी परिवार के करीबी नेताओं की कड़ी प्रतिक्रिया आई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो आजाद को स्व. संजय गांधी का चापलूस बता दिया है। जयपुर में गहलोत ने कहा कि आजाद आज दूसरे नेताओं को चापलूस बता रहे हैैं, जबकि संजय गांधी के वक्त में वह खुद चापलूस माने जाते थे। आजाद संजय गांधी के कारण ही राजनीति में आगे बढ़े हैं। उस समय मेरी तरह देश के कई नेताओं के विचार संजय गांधी से मेल नहीं खाते थे, विरोधी थे, फिर भी मैं सांसद बना।
गहलोत ने कहा कि सोनिया गांधी इलाज के लिए अमेरिका गई हैं तो आजाद का पत्र लिखना मानवीय संवेदना के खिलाफ है। इससे मैं सदमे में हूं। वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने आजाद को सब कुछ दिया, लेकिन उन्होंने उसे धोखा दिया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आजाद बहुत दिनों से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। उनके जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा।