धमतरी जिले में बारसात के मौसम में महानदी के किनारे बसे करीब 80 गांव हर साल बाढ़ की चपेट मे आ जाते हैं। बाढ़ के कारण इन गांवों का जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो जाता है। इस बीच, जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि इस साल इन गांवों को बाढ से बचाने के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है।
बरसात के मौसम में ज्यादा बारिश होने पर धमतरी जिले में महानदी, खारून, पैरी, बाल्का और सोंढूर नदियों के तटवर्ती गांवों में बाढ़ का खतरा पैदा हो जाता है। नदियों के उफान पर आते ही तटवर्ती गांवों में मुनादी करानी पड़ती है। लिहाजा बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने कवायद तेज कर दी है।
गौरतलब है कि धमतरी जिले में सर्वाधिक खतरा उस समय मंडराने लगता है, जब गंगरेल बांध से महानदी में पानी छोड़ा जाता है.। जिले में कुछ गांव ऐसे हैं, जो बारिश में गंगरेल से पानी छोड़े जाने के बाद पूरी तरह टापू मे तब्दिल हो जाते हैं। हालांकि अभी मानसून ने दस्तक दे ही है और गगंरेल बांध का जलस्तर भी ठीक है। वहीं, जिला प्रशासन ने इस नुकसान को रोकने के लिए कमर कस ली है। प्रशासन की माने तो बाढ़ से निपटने के लिए टीम गठित करने सहित तमाम तैयारी हो गई है।