
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद, बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की सरकार जरूर बन गई है, लेकिन इसके स्थायित्व पर सवाल उठ रहे हैं। 30 जुलाई को लोकसभा में बजट पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा कि यह सरकार लंबे समय तक नहीं चलेगी। सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर कई राजनीतिक विश्लेषक मोदी 3.0 की स्थिरता पर सवाल उठा रहे हैं। बीजेपी के पास अपने दम पर बहुमत नहीं है और एनडीए भी बहुमत के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से बहुत आगे नहीं है, इसलिए सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
यह सच है कि बीजेपी को मौजूदा कार्यकाल में गठबंधन के सहयोगी दलों के सामने झुकना पड़ेगा। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हालात ऐसे नहीं थे। मौजूदा मोदी सरकार के पहले बजट पर कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह गठबंधन की मजबूरी के तहत पेश किया गया बजट लगता है। चुनाव नतीजों के बाद से सहयोगी दलों ने बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ताजा उदाहरण कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया। योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने को कहा, जिसका राष्ट्रीय लोकदल, जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने विरोध किया। इससे पहले जेडीयू ने केंद्र सरकार द्वारा अग्निवीर योजना की समीक्षा की जरूरत बताई थी, और मोदी सरकार में मंत्री चिराग पासवान ने भी इसी तरह का बयान दिया था।
उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार में भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने भी कई मुद्दों पर पत्र लिखकर योगी आदित्यनाथ सरकार को मुश्किल में डाला है। बिहार और आंध्र प्रदेश अपने राज्य को विशेष पैकेज देने की मांग कर रहे थे, जिसकी भरपाई बजट में दोनों राज्यों के लिए जबरदस्त आवंटन की घोषणा करके की गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि मोदी सरकार कुछ ही दिनों की मेहमान है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि अगस्त में नरेंद्र मोदी सरकार गिर जाएगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इंडिया गठबंधन जल्द ही केंद्र में सरकार बनाएगा।
चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने कहा कि मोदी सरकार 3.0 की स्थिरता संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण, स्पीकर के चुनाव, लिंचिंग और बुलडोजर के इस्तेमाल के मामलों को देखना चाहिए। यादव ने कहा कि सरकार की शक्तियों का पहले से ज्यादा गलत इस्तेमाल होगा और विपक्ष को सक्रिय होना होगा। किसान एक बार फिर दिल्ली कूच की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने एमएसपी को लेकर कानूनी गारंटी बनाने का वादा किया था, लेकिन उसे निभाया नहीं। पंजाब और हरियाणा से बड़ी संख्या में किसान इस आंदोलन में शामिल हो सकते हैं।
हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और इन राज्यों में बीजेपी के लिए हालात ठीक नहीं हैं। किसानों का आंदोलन हरियाणा में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। महाराष्ट्र में बीजेपी का प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में खराब रहा है और एनसीपी के साथ गठबंधन को लेकर दबाव है। झारखंड में बीजेपी को आदिवासी मतदाताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। बीजेपी के लिए जरूरी है कि वह महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में जीत हासिल करे। ऐसा नहीं होने पर सहयोगी दलों का दबाव बढ़ेगा और पार्टी के अंदर भी विरोधी सुर तेज हो सकते हैं। इसका असर केंद्र सरकार की स्थिरता पर भी पड़ सकता है।