महिलाओं में चेतना बढ़ रही है तो यह सवाल उठने लगे कि थाने के भीतर ‘पुलिस हमेशा गाली देकर क्यों बात करती है? गालियों में महिलाओं को ही क्यों लक्ष्य करती है?” कुछ किशोरियों का यह सवाल जैसेे पूरी महिलाओं का प्रतिनिधित्व कर रहा था। पुलिस अधिकारी असहज थे। इस बारे में न किसी ने सोचा था और न कभी विचार करने की कोशिश की थी। परंपरागत रूप से पुलिस महकमे में ऐसी गालियां चली आ रही थीं और आज भी चल रही हैं।
वर्षा नाम की किशोरी ने मिर्जामुराद थाना प्रभारी संजय सिंह से पूछा-‘ किसी घटना के बाद जब कभी हमारे गांव में पुलिस आती है तो सीधे मां-बहन की गाली से बात शुरू करती है। वह ऐसा क्यों करती है? एक घटना, जिसमें मां या बहन की कोई भूमिका ही नहीं थी, उनकी कोई गलती नहीं थी, वहां उनके लिए ऐसी गालियां क्यों दी जाती हैं?” सवाल इसलिए भी प्रासंगिक था क्योंकि अब पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। जब यह सवाल लडकियों ने दागे तो थाने के पुलिसकर्मी और अधिकारी दाएं-बाएं झांकने लगे। उनके पास जवाब था भी नहीं। सामने 70 किशोरियों का समूह था। सभी समर कैंप के अंतर्गत थाने में चौपाल लगाने आई थीं। उम्र में छोटी इन लड़कियों के विषय बड़े थे। किसी ने गांव में जुआ बंद कराने की बात की तो किसी ने शराब का ठेका। इसी दौरान
इस प्रश्न का जवाब न मिला तो किशोरियों ने पुलिसकर्मियों के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। व्यवहार बदलने तक की सलाह दे डाली। उनके सवाल बेबाक और तार्किक थे। पुलिस बल में करियर बनाने के बाबत भी प्रश्न पूछे। थाना प्रभारी ने बताया कि यह किशोरियां आदर्श ग्राम नागेपुर में आशा और लोक समिति के तत्वावधान में चल रहे समर कैंप में शामिल हैं और इन्हें थाना भ्रमण के लिए लाया गया था। उन्होंने अपने अधिकारों व उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों की जानकारी भी ली।