नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए ने किसी हवाई यात्री को वैध टिकट होने और समय से एयरपोर्ट पर पहुंचने पर भी विमान में नहीं बैठने देने पर प्रभावित यात्री को हर्जाना देने की व्यवस्था दी है। यह दिशा-निर्देश सभी भारतीय एयरलाइनों के लिए जारी करते हुए डीजीसीए ने मुआवजे की व्यवस्था को बनाने के लिए कुछ शर्तें भी लगाई हैैं। इसके साथ ही वैध टिकट होने के बावजूद यात्रियों को बोर्डिंग कराने से इन्कार करने के लिए एयर इंडिया पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने बयान जारी करके सभी देशी एयरलाइनों के लिए अपनी व्यवस्था में कहा कि अगर एयरलाइंस एक घंटे में ही प्रभावित यात्री के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर पाती है तो उसे कोई मुआवजा नहीं देना होगा। अगर एयरलाइंस 24 घंटे के अंदर ही वैकल्पिक व्यवस्था कर पाती है तो उसे यात्री को नियमानुसार दस हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। अगर 24 घंटे के बाद भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती है तो एयरलाइंस को यात्री को 20 हजार रुपये का हर्जाना देना होगा।
उल्लेखनीय है कि डीजीसीए ने पिछले महीने ही कहा था कि एयरलाइंस नियमों का पालन नहीं कर रही हैैं। वह यात्रियों के समय से एयरपोर्ट पर पहुंचने और वैध टिकट होने के बावजूद उन्हें विमान में नहीं बैठने दे रही हैैं। विगत दो मई को डीजीसीए ने सभी भारतीय एयरलाइनों को निर्देर्शित किया था कि वह प्रभावित यात्रियों को मुआवजा और अन्य सुविधाएं दें।
डीजीसीए ने बेंगलुरु, हैदराबाद और दिल्ली में निगरानी के दौरान कई दफा देखा कि कई मामलों में एयर इंडिया ने अपने हवाई यात्रियों को मुआवजा देने के नियमों का पालन नहीं किया है। इसीलिए इस एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस दिया गया है। नियामक डीजीसीए के अनुसार संभवत: एयर इंडिया के पास ऐसे यात्रियों को मुआवजा देने की कोई नीति ही नहीं है। लेकिन जितना भी कम कहा जाए यह बहुत गंभीर चिंता का विषय है और अस्वीकार है। एयरलाइंस को सलाह दी गई है कि वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए जल्द से जल्द इस व्यवस्था को लागू करें। डीजीसीए का कहना है कि अगर किसी हवाई यात्री को वैध टिकट होने और एयरपोर्ट पर समय से पहुंचने के बावजूद विमान में बैठने की इजाजत नहीं दी जाती है तो एयरलाइंस को कुछ नियमों का पालन करना ही होगा।