खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह 35 दिनों बाद आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। पंजाब पुलिस ने उसे मोगा के रोडेगांव में गुरुद्वारे के निकट से दबोचा। यह आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाला का पैतृक गांव है। गिरफ्तारी से पहले उसने जहां खुद इस बात का खुलासा किया कि कैसे वह पुलिस को चकमा देता रहा, साथ ही उसने लोगों को भडकाने का भी प्रयास किया।
अमृतपाल को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने अमृतसर मेडिकल कालेज में उसका एमआर करवाया और बाद में उसे असम के डिब्रूगढ जेल भेज दिया। यहां उसके नौ साथी पहले से बंद हैं। पुलिस ने अमृतपाल के विरुद्ध एनएसए के तहत मामला दर्ज किया था। 23 फरवरी को अजनाला थाने पर हमला करने के मामले में पुलिस ने मामला दर्ज किया था। उसी समय से अमृतपाल फरार था। वह लगातार पुलिस को चकमा देते हुए विभिन्न जगहों पर आता-जाता रहा। हालांकि इस दौरान पर पुलिस के रडार पर रहा।
अमृतपाल ने गिरफ्तारी से पहले गुरुद्वारे में खुद ही इस बात का खुलासा किया कि कैसे वह पुलिस को चकमा देता रहा। इस दौरान उसने लोगों को भडकाने का भी प्रयास किया। उसने कहा कि संगत और साथियों के सहयोग से ही वह सुरक्षित रहा। पुलिस अगर हमें गिरफ्तार करती है तो यह अंत नहीं, बल्कि शुरुआत है। जिस वाहे गुरु ने हमें यह क्रांतिकारी सोच दी है, वही हमें आगे बढने की हिम्मत देगा।