रायपुर। रुद्राक्ष में शिवजी की वास होता है. यही कारण है कि शिवजी का रुद्राक्ष से अटूट संबंध होता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है. यही कारण है कि रुद्राक्ष को शिव का स्वरूप माना गया है. कई वर्षों तक ध्यान करने के बाद जब भगवान शिव में अपनी आंखें खोली तो धरती पर आंसू की बूदें गिरीं, जिससे रुद्राक्ष के पेड़ उत्पन्न हुए. रुद्र की आंखों से उत्पन्न होने के कारण इसे रुद्राक्ष कहा गया।
मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से किस्मत में भी परिवर्तन होता है.साथ ही ग्रहों की बाधाएं भी रुद्राक्ष के पहनने से ठीक हो जाती है. वहीं अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो सेहत की दृष्टि से भी रुद्राक्ष बेहद फायदेमंद है।
रुद्राक्ष को भगवान शिव का सबसे खास और प्रिय आभूषण कहा जाता है। रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है। इसे धारण करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक परेशानियों से मुक्ति भी मिलती है। हृदय रोग और अशुभ ग्रहों के प्रभाव के मामले में रुद्राक्ष को धारण करने से विशेष लाभ होता है। रुद्राक्ष व्यक्ति के तेज में वृद्धि कराता है और पापों का नाश करता है।
धारण करने पहले जानें उचित विधि
रुद्राक्ष का महत्व किसी रत्न से कम नहीं होता। इसलिए इसे धारण करने से पहले उचित दिन और सही विधान का ध्यान रखना जरुरी है। गलत रुद्राक्ष, गलत दिन या गलत विधि से धारण करने पर इसके अनुकूल प्रभाव के बजाए प्रतिकूल प्रभाव भी दिख सकते हैं। इसलिए सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने से क्या फायदा
रुद्राक्ष को भगवान शिव का सबसे खास और प्रिय आभूषण कहा जाता है। रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति दीर्घायु होता है। इसे धारण करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक परेशानियों से मुक्ति भी मिलती है। हृदय रोग और अशुभ ग्रहों के प्रभाव के मामले में रुद्राक्ष को धारण करने से विशेष लाभ होता है। रुद्राक्ष व्यक्ति के तेज और ओज में वृद्धि कराता है और पापों का नाश करता है।
धारण करने पहले जानें उचित विधि
रुद्राक्ष का महत्व किसी रत्न से कम नहीं होता। इसलिए इसे धारण करने से पहले उचित दिन और सही विधान का ध्यान रखना जरुरी है। गलत रुद्राक्ष, गलत दिन या गलत विधि से धारण करने पर इसके अनुकूल प्रभाव के बजाए प्रतिकूल प्रभाव भी दिख सकते हैं। इसलिए सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने के से पहले ये जान लें कि आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
ऐसे करें धारण
रुद्राक्ष को पूजा स्थल पर लाल साफ कपड़े पर रख दें। इसे पंचामृत के मिश्रण में स्नान कराएं और फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
इसे शिवलिंग या घर की पूजा वाली जगह पर रखें और शिव मंत्रों का जाप करें। अगर किसी मनोकामना के साथ धारण कर रहे हों, तो उसे विधिवत अभिमंत्रित करें। हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लेकर संकल्प लें और फिर जल को नीचे छोड़ दें। इसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें।
रुद्राक्ष हृदय पर, गले में, और हाथों में धारण कर सकते हैं। लेकिन इसकी माला लाल धागे में होनी चाहिए।
कलाई में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो इसमें रुद्राक्ष के 12 दाने, गले में धारण कर रहे हैं तो 36 दाने और यदि आप इसे हृदय में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो 108 रुद्राक्ष के दाने होने चाहिए।
अगर केवल एक रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं, तो ध्यान रहे कि वह आपके हृदय तक अवश्य पहुंच रहा हो। रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन और सात्विक जीवन शैली का पालन करना चाहिए।