देश में कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल डेटा में 77.8 प्रतिशत कारगर निकली है। भारत बायोटेक ने पिछले हफ्ते एक डेटा ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को यह रिपोर्ट सौंपी गई है। इसको लेकर सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी की बैठक हुई है, जिसमें को-वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के डेटा को मंजूरी दे दी गई है। मंजूरी के बाद डेटा को अब वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन में भी सब्मिट किया जा सकेगा।
कोवैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल 25,800 लोगों पर किया गया था और यह देखा गया कि वैक्सीन कोरोना से कितना बचाव कर सकती है। को-वैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर तैयार किया है। कोवैक्सीन को इन ट्रायल के परिणाम आने से पहले ही करीब पांच महीने पूर्व ही आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई थी। बिना ट्रायल नतीजों के मंजूरी मिलने पर तब काफी विवाद हुआ था। इससे पहले भारत बायोटेक के एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने स्वीकार कर लिया था। कोवैक्सिन को मंजूरी दिलाने के लिए कंपनी ने 19 अप्रैल को ईओआई सब्मिट किया था। मामले में अब प्री-सब्मिशन मीटिंग 23 जून को होगी।
फिलहाल भारत में दो वैक्सिनों से कोरोना का वैक्सिनेशन अभियान चलाया जा रहा है। पहली सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और दूसरी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन। यह दोनों वैक्सीन पहली पूर्ण रूप से भारतीय वैक्सीन है। भारत मे जिस समय कोरोना अपने पीक ओर था और वैक्सिनेशन अभियान को जल्द शुरू करना था, तब इन दोनों वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी। उस समय को-वैक्सीन को बिना तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे आए बिना मंजूरी दे दी गई थी। हालांकि, अब तक कोवैक्सीन के कोई गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं। कोवैक्सिन को जुलाई से सितंबर के बीच डब्ल्यूएचओ से आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल सकती है।