भीम आर्मी के प्रमुख युवा नेता चंद्रशेखर आजाद आज बलौदाबाजार मामले में हुए हिंसा की बात करने छत्तीसगढ़ दौरे पर आये हैं। उन्होंने राजधानी के राजभवन पहुंचकर सबसे पहले राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन से मुलाकात की, साथ ही उन्होंने बलौदाबाजार में हुए हिंसा मामले को अपने संज्ञान में लेने की मांग हेतु ज्ञापन सौंपा। जिसके बाद वे बिलाईगढ़ भटगांव में हो रही बड़ी जनसभा को संबोधित करने के लिए रवाना हो गए। जाने से पहले चंद्रशेखर आजाद ने मिडिया से बातचीत की, और उन्होंने बताया कि, बलौदाबाजार हिंसा मामले में जो लोग जेल में बंद है उन लोगो पर जुल्म किया जा रहा है, वह जुल्म बंद हो, जिसे हम लोग नहीं सहेंगे। इसलिए हम यहां आए हैं, कल सदन खत्म हुआ है और आज मैं छत्तीसगढ़ आया हूं। जिस तरह से छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज के लोगों पर जुल्म किया जा रहा है, वह बहुत न्यायप्रिय और अहिंसा में विश्वास करने वाला समाज है। जिस प्रकार से षड्यंत्र करके सतनामी समाज को टारगेट किया जा रहा है. मैं उसके खिलाफ हूं।
इस पूरी घटना में जिम्मेदार कौन ?
चंद्रशेखर आजाद ने कहा, इस घटना के बाद जिलाधिकारी और एसपी को हटा दिया गया हैं। यानी की उन लोगों ने लापरवाही बरती थी, उनकी गलती नहीं होती तो क्यों हटाते ? उन्होंने गलती की, और उनके लापरवाही से इंटेलिजेंस फेल हुआ है। उनसे कोई बातचीत नहीं किए गया उसका परिणाम है. इतने लंबे समय से सतनामी समाज लोगो के आस्थाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है। एक महीने पहले से वह ज्ञापन दे रहे हैं जिसके बाद वे सीबीआई जांच की मांग कर रहे है. हमारे आस्था का सम्मान नहीं हो रहा है। इस घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिए, किसी जाति, किसी धर्म का हो उस पर कार्रवाई हो. निर्दोष लोगों को पीटा जा रहा है, सतनामी समाज के जो नौजवान है. भीम आर्मी के जो नौजवान है. उनको पीटा जाएगा तो यह हम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कैसे भड़की थी हिंसा की आग
सतनामी समाज के लोग सोमवार को बलौदा बाजार के दशहरा मैदान में इकट्ठे हुए थे। प्रदेश भर से 7-8 हजार की संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठे हुए थे, प्रदर्शन मे शामिल प्रमुख लोगों को गार्डन चौक पर ज्ञापन देने की सलाह दी गई, लेकिन उन्होंने इस सलाह को खारिज कर दिया। वही दोपहर करीब पौने तीन बजे विरोध करने आई भीड़ रैली के रूप में नारे लगाते हुए आगे बढ़ी. जिस दौरान भीड़ ने गार्डन चौक के पास लगे पहला बैरिकेड तोड़ दिया। जहां वे बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ गए जिसके बाद पूरी रैली नेतृत्वहीन होकर योजनाबद्ध तरीके से नारे लगाते हुए चक्रपाणि स्कूल के पास पहुंची थी। जहां एक बड़ा बैरिकेड लगाया गया था और ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ धक्का-मुक्की की, उन्हें लाठियों से पीटा और गंभीर रूप से घायल कर दिया और बैरिकेड तोड़ दिया। वहां से प्रदर्शन कारी पथराव करते हुए आगे बढ़े. पुलिस ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन भीड़ हिंसक हो गई और पास में खड़ी फायर ब्रिगेड पर चढ़ गई और उसे तोड़ दिया और अपने साथ लाए पेट्रोल और डीजल से आग लगाकर आगे बढ़ गई. जॉइन्ट कलेक्ट्रेट ऑफिस के पास उपद्रवी उग्र हो गए और पथराव कर पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को लाठी-डंडों से पीट-पीट कर घायल कर दिया। उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ी करीब 100 सरकारी व निजी मोटरसाइकिलों व 30 से अधिक चारपहिया वाहनों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी थी।
सतनामी समाज के लोग क्यों कर रहे थे प्रदर्शन?
बलौदा बाजार में जो प्रदर्शन हो रहा था, वो गिरौदपुरी के महकोनी गांव में जैतखाम के साथ तोड़फोड़ किए जाने की घटना की सीबीआई जांच की मांग को लेकर था। हालांकि इस मामले में गृह मंत्री की ओर से न्यायिक जांच के आदेश जारी किए गए थे, लेकिन समाज के लोग लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे।
क्या था पूरा मामला?
बीती 15 मई की रात गिरौदपुरी में सतनामी समाज के तीर्थ स्थल ‘अमर गुफा’ के जैतखाम को किसी ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया था। हालांकि नाराज प्रदर्शनकारियों का कहना था कि, पुलिस ने असली आरोपियों को नहीं पकड़ा है और वो दोषियों को बचा रही है। इसको लेकर आठ जून को कलेक्टर और समाज के लोगों के बीच बैठक हुई, उसके बाद नौ जून को गृहमंत्री विजय शर्मा की ओर से घटना के घटना के न्यायिक जांच के आदेश दिए गए जिसके बाद समाज के लोगों ने 10 जून को दशहरा मैदान में प्रदर्शन की अनुमति मांगी, लेकिन प्रदर्शन के दौरान लोग पुलिस के रवैये से उग्र हुए और हालात बिगड़ गए थे।