
रायपुर। पाठ्य पुस्तक निगम एक बार फिर से सुर्खियों में है। विभाग ने बिना दस्तावेज के राजाराम प्रिंटर्स रावांभाठा को करीब साढ़े 8 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। इस बड़े घोटाले का खुलासा महालेखाकार की ऑडिट एचबी रिपोर्ट में हुआ है। निगम अध्यक्ष ने प्रकाशक से इसकी पूरी जानकारी मंगाते हुए विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पाठ्य पुस्तक निगम अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने मीडिया को बताया कि निगम की सामान्य सभा की बैठक पिछले तीन साल से नहीं हो पाई थी। ऐसे में यहां निगम में ओपनिंग और क्लोजिंग बैलेंस का मिलान नहीं हो पाया था। हाल ही में महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सामने आया है। इसके बाद प्रकाशक राजाराम प्रिंटर्स को पत्र लिखकर इसकी पूरी जानकारी मांगी है। पत्र में उनसे पूछा जा रहा है कि उन्हें 8 करोड़ 40 लाख का भुगतान किस काम के लिए किया गया है। बताया जा रहा है कि अलग से बैंक-खाता खोलकर उसमेें 8 करोड़ 92 लाख रुपये ट्रांसफर किया गया। इसके बाद वहां से इस प्रकाशक को इस राशि का भुगतान कर दिया गया। बड़ी बात ये है की निगम में इस प्रकाशक को भुगतान को लेकर कहीं कोई दस्तावेज नहीं है। पत्र में प्रकाशक से ही कार्य आदेश, चेक, मुद्रित सामग्री, उसके परिवहन आदि की जानकारी 19 मार्च तक मांगी गई है।