राजस्थान के सियासी संकट के बीच शह-मात का खेल जारी है। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा अब तक कांग्रेस के अंदर पैदा हुए संकट के बीच खामोश बैठकर तमाशा देख रही थी। मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के दिग्गज नेताओं द्वारा कांग्रेस के अंदर फुट और राज्य सत्ता पर संकट के लिए भाजपा को निशाने पर लिया तो भाजपा भी अब दो-दो हाथ करने की तैयारी में जुट गई है। मुख्यमंत्री गहलोत को उनकी मांद में मात देने के लिए भाजपा ने पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने को तैयार हो गई है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया के एक बयान ने राजस्थान की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में पूनिया से जब पूछा गया कि क्या पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री बन सकते हैं? तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ‘यदि हालात अनुमति देते हैं तो सचिन पायलट मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए बड़ा कदम उठाया है। फिलहाल मामला कोर्ट में और इसलिए आगे किसी तरह की टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। सबसे पहले, यह सचिन पायलट को तय करना है कि उनका अगला कदम क्या होगा और उसके बाद फिर हम विचार करेंगे।’ पूनिया के इस बयान के बाद नई अटकलें लगाई जाने लगी हैं।
हाईकोर्ट के फैसले में यदि विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई को सही ठहराया जाता है तो सचिन पायलट सहित 18 विधायकों की संख्या घट जाएगी। इससे सदन में मौजूदा सदस्यों की संख्या कम होने के साथ ही अशोक गहलोत को भी बहुमत साबित करने में आसानी हो जाएगी। फिलहाल गहलोत का दावा है कि उनके पास 100 से अधिक विधायक है। यदि पायलट गुट बाहर होता है तो सदन में उन्हें महज 91 विधायकों का साथ चाहिए होगा। यदि सचिन पायलट और बागी विधायकों के पक्ष में कोर्ट फैसला सुनाता है तो गहलोत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
विधानसभा में भाजपा के पास 75 विधायकों का संख्या बल है। कांग्रेस के 19 बागी और बीटीपी विधायक उन्हें साथ देते हैं तो उनका आंकड़ा 99 तक पहुंच जाएगा। अब कोर्ट के फैसले पर तय होगा कि आना वाला समय किसके अनुकूल होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. पूनिया ने इससे पहले पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना संकटकाल में राजस्थान की जनता की इम्युनिटी क्षमता अच्छी है, इसलिए कोरोना से तो प्रदेश की जनता बच जाएगी, लेकिन कांग्रेस की इम्युनिटी पावर कमजोर लगती है।’
एक अन्य सवाल के जवाब में डॉ. पूनिया ने कहा कि राज्य में फसलों पर टिड्डियों का हमला, कोरोना का संकट, रोजगार पर बात करने और इन मुद्दों पर काम करने के बजाए मुख्यमंत्री अपनी सरकार को लेकर एक होटल में बैठे हैं, जनता पूछ रही है कि राज्य में सरकार कहां पर है? ऐसे में मुख्यमंत्री को चाहिए कि खुद भी होटल से बाहर निकलें और मंत्रियों व विधायकों को भी खुला छोड़ें, जिससे वे अपने क्षेत्र में जाएं, जहां प्रदेश की आम जनता इस संकटकाल में उनको ढूंढ़ रही है, जिससे उनके काम हो सकें।
एक सवाल के जवाब में डॉ. पूनिया ने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायापालिका भारत के संविधान की खूबसूरती है और उनके अपने अपने कार्य और महत्व हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के लिए कहा कि उन्होंने नैतिकता की दुहाई देते हुए जो पत्र प्रधानमंत्री जी को लिखा है, मैं उनको याद दिलाना चाहता हूं कि कांग्रेस की ओर से 1957 से 1990 के अंतिम तक कई राज्य सरकारों को बर्खास्त किया गया, इसलिए मुख्मयंत्री को याद रखना चाहिए कि कांग्रेस सरकारों द्वारा संविधान की जितनी धज्जियां उड़ाई हैं, फिर किस नैतिकता की बात करते हैं। सरकार एक बाड़े में बंद है और प्रदेश की आम जनता विपदा से गुजर रही है, फसलों पर टिड्डियों के हमले से किसान परेशान हैं, सभी मुद्दों पर विफल हो चुकी एवं अपनी असफलताओं को छुपाने के लिये राज्य की सरकार ने आरोप लगाने के लिये बीजेपी को एक कंफर्ट एजेंसी मान लिया है।