
बिलासपुर। आनंद और मनोरंजन के साधन आश्चर्यजनक रूप से जानलेवा हो सकते हैं, एक ऐसा विचार जिसके बारे में आपने शायद नहीं सोचा होगा। वही डीजे धुनें जो लोगों को सड़कों पर खुलकर नाचने और गाने के लिए प्रेरित करती हैं, दिल की धड़कनों को शांत करने में भी सक्षम हैं। वाकई, यह एक सच्चाई है। डीजे से उत्पन्न शोर जानलेवा साबित हो रहा है।
बता दें कि, हाल ही में अंबिकापुर में एक चौंकाने वाली घटना हुई। डीजे के शोर के कारण एक युवक को ब्रेन हेमरेज हो गया। उसकी गलती बस इतनी थी कि वह तेज आवाज में घर लौट रहा था। जब उसे ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा तो उसे रुकना पड़ा। घर पहुंचने पर उसके सिर में तेज दर्द होने लगा। डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि डीजे का शोर उसके लिए जानलेवा हो गया था, जिसके कारण उसके सिर के पिछले हिस्से में खून का थक्का जम गया और ब्रेन हेमरेज हो गया।
डीजे की वजह से व्यक्ति की जान पर बन आई
यह जानकर वाकई आश्चर्य हुआ कि जिस युवक को ब्रेन हेमरेज हुआ था, उसे पहले से हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की कोई शिकायत नहीं थी। इसके अलावा, इस दौरान उसे गिरने का भी अनुभव नहीं हुआ था। जब डॉक्टर हैरान हुए, तो उन्होंने उसकी हालत के कारणों के बारे में पूछा। युवक ने बताया कि, वह एक कार्यक्रम में था, जहां तेज आवाज में संगीत बज रहा था, और अचानक उसके सिर में तेज दर्द हुआ, उसके बाद चक्कर आने लगा। इसके अलावा और कुछ नहीं बताया गया। इसके बाद, यह स्पष्ट हो गया कि तेज आवाज में संगीत ने इस स्वस्थ व्यक्ति को जानलेवा स्थिति में धकेल दिया था।
घटना सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले की है। तीन दिन पहले ही सनावल निवासी संजय जायसवाल को अचानक चक्कर और उल्टी की शिकायत हुई थी। उन्होंने अंबिकापुर में इलाज कराया। सीटी स्कैन करने पर ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र गुप्ता यह देखकर हैरान रह गए कि युवक के सिर के पीछे नस फटने के कारण खून का थक्का बन गया था। ऐसी घटनाएं आमतौर पर उच्च रक्तचाप, शारीरिक झगड़े या सड़क दुर्घटना के कारण होती हैं। युवक की हालत गंभीर हो गई है और डॉक्टर ने उसे आगे के इलाज के लिए रायपुर रेफर कर दिया है।
डीजे की तेज आवाज से ब्रेन हेमरेज होने के चान्सेस
डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि युवक की जांच और उससे बातचीत के बाद ऐसा लगता है कि डीजे की तेज आवाज की वजह से सिर के पिछले हिस्से में खून का थक्का जम गया है, जिसकी वजह से ब्रेन हेमरेज हुआ है। ऐसी घटनाएं तब हो सकती हैं जब कोई भी साउंड सिस्टम तेज आवाज में बजाया जाता है। डीजे की तेज आवाज की वजह से ब्रेन हेमरेज का यह पहला मामला है।
150 डेसिबल से ज़्यादा साउंड हो सकता है खतरनाक
आमतौर पर लोग ध्वनि प्रदूषण के कारण बहरे हो जाते हैं। 150 डेसिबल से ज़्यादा ध्वनि स्तर के संपर्क में आने से सुनने की क्षमता पूरी तरह खत्म हो सकती है।
डीजे पर पूरी तरह लगाया जाना चाहिए प्रतिबंध
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता इस बात पर जोर देते हैं कि डीजे हर दृष्टि से बेहद संवेदनशील और खतरनाक हैं। आपको दुर्ग की घटना याद होगी, जहां तीन भाइयों की हत्या कर दी गई थी। शराब के नशे में युवा अक्सर डीजे की धुनों पर मदहोश हो जाते हैं। आमतौर पर ऐसी परिस्थितियां दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को जन्म देती हैं। अंबिकापुर की घटना खास तौर पर दिल दहला देने वाली है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए डीजे पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि, 2022 में किए गए एक अध्ययन में, 50 व्यक्तियों की जांच व्यस्त चौराहों पर की गई, जो उच्च शोर स्तरों के लिए जाने जाते हैं, खासकर जहां ट्रैफिक पुलिस तैनात होती है। इन व्यक्तियों में से 12 को सुनने में दिक्कत पाई गई, जबकि 25 में उच्च रक्तचाप, अनिद्रा और चिड़चिड़ापन के लक्षण दिखाई दिए। वर्तमान में, त्योहारी सीजन और शादी समारोहों के साथ, तेज आवाज में डीजे संगीत प्रचलित है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करता है।
HC की सख्ती का भी नहीं दिख रहा कोई असर
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में डीजे से उत्पन्न अत्यधिक तेज ध्वनि पर प्रतिबंध लगाने, खासकर ध्वनि प्रदूषण के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। खंडपीठ ने निर्देश दिया है कि डीजे संचालन के संबंध में सख्त कदम उठाए जाएं। बुधवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पुलिस महानिदेशक ने हलफनामा पेश कर बताया कि इस मामले में जिले के पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिन्हें इस मामले में जवाबदेह भी ठहराया गया है।