
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को 96 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह कुछ समय से बीमार चल रही थीं। दोपहर को उनकी तबीयत नाजुक हुई और डॉक्टर्स की देखरेख में थीं। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उनके पोते प्रिंस विलियम उनके पास मौजूद थे। बीमारी के कारण महारानी बाल्मोरल महल में रह रही थीं और सभी आधिकारिक काम यहीं से कर रही थीं। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय फिलहाल स्कॉटलैंड के बाल्मोरल कासल में थीं। यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। वह 70 साल ब्रिटेन की महारानी रहीं।
महारानी के निधन के बाद लंदन के बकिंघम पैलेस में होने वाली गार्ड चेंजिंग को रद्द कर दिया गया है। सेरेमनी के दौरान जहां पर यात्री जुटते हैं ठीक उसी जगह पर एक बोर्ड लगा दिया गया है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज शासक के रूप में याद किया जाएगा। दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं। उन्होंने बताया कि जब 2015 और 2018 में यूके की यात्राओं के दौरान महारानी से मिला था। एक बैठक के दौरान उन्होंने मुझे एक रूमाल दिखाया था, जो महात्मा गांधी ने उनकी शादी में गिफ्ट किया था।
महारानी एलिजाबेथ 2 जून 1953 को ब्रिटेन की महारानी के पद पर आसीन हुईं थीं। जब एलिजाबेथ क्वीन बनीं तब दुनिया ही नहीं ब्रिटेन में भी राजशाही पर सवाल उठ रहे थे, लेकिन महारानी एलिजाबेथ ने तमाम विरोध के बावजूद शाही परिवार के रुतबे और असर को बरकरार रखा। उनके करीब 70 साल के कार्यकाल के दौरान ब्रिटेन ही नहीं बल्कि समूची दुनिया में भारी बदलाव हुए। इस दौरान ब्रिटेन ने सिर्फ आर्थिक चुनौतियों का ही नहीं बल्कि राजनीतिक संकटों का भी सामना किया।उतार-चढ़ाव के दौर में ब्रिटेन की महारानी अपने देश की जनता के लिए भरोसे का प्रतीक बनीं रहीं।
एक दौर में दुनिया के बड़े हिस्से में ब्रिटीश साम्राज्य की एकछत्र हुकूमत थी, लेकिन एलिजाबेथ ने जब ताज पहना तो साम्राज्य का रुतबा और रकबा दोनों घट रहे थे। एलिजाबेथ कभी स्कूल नहीं गईं थीं। उनकी पढ़ाई घर पर ही हुई। उन्होंने कई भाषाएं सीखीं। एलिजाबेथ 21 अप्रैल 1926 को बर्कले में पैदा हुईं थीं। एलिजाबेथ के पिता ड्यूक ऑफ आर्क अल्बर्ट उस दौर के राजा जार्च पंचम के दूसरे नंबर के बेटे थे। एलिजाबेथ अपने पिता की बड़ी बेटी थीं। उस दौर में शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एलिजाबेथ महारानी बनेंगी।
ऐसे बनीं महारानी : ब्रिटेन के किंग जार्ज पंचम की 1936 में मौत हुई थी। उनकी मौत के बाद शाही गद्दी पर उनके बड़े बेटे डेविड बैठे थे। उन्होंने अपना शाही नाम एडवर्ड अष्टम रखा था, लेकिन अपने प्रेम प्रसंग के कारण एडवर्ड अष्टम को गद्दी छोड़नी पड़ी। एडवर्ड ने एक तलाकशुदा अमेरिकी महिला से शादी की थी जिसकी वजह से उनका भारी विरोध हुआ। एडवर्ड के पतन के बाद हिचकते हुए एलिजाबेथ के पिता अल्बर्ट राजगद्दी पर बैठे और इस तरह एलिजाबेथ के महारानी बनने का रास्ता भी तैयार हुआ। ये वो दौर था जब हिटलर की ताकत बढ़ रही थी और अल्बर्ट देश का दौरा करके लोगों का राजशाही में भरोसा मजबूत कर रहे थे। एलिजाबेथ अपने पति फिलिप के साथ अफ्रीका के दौरे पर थीं जब उन्हें अपने पिता किंग अल्बर्ट की मौत की खबर मिली। ब्रिटेन लौटने के तुरंत बाद ही एलिजाबेथ को महारानी घोषित कर दिया था। महारानी घोषित किए जाने के सोलह महीने बाद जून 1953 में एलिजाबेथ का कोरोनेशन हुआ था जिसका प्रसारण दुनियाभर में टीवी पर किया गया था। ये पहली बार था जब दुनिया में बहुत से लोगों ने पहली बार टीवी पर लाइव प्रसारण देखा था। ये वो दौर था जब ब्रिटेन दूसरे विश्व युद्ध के बाद खड़ा होने की कोशिश कर रहा था। खर्चों में कटौती हो रही थी और देश के सामने कई चुनौतियां थीं।
प्रेम विवाह किया : एलिजाबेथ भी परिवार के साथ दौरे कर रहीं थीं। वो सिर्फ तेरह साल की थीं जब उनकी मुलाकात अपने भविष्य के पति फिलिप से हुई। फिलिप ग्रीस के राजकुमार थे। फिलिप और एलिजाबेथ की कई मुलाकातें हुईं और 1944 में दोनों प्यार में पड़ गए थे। एलिजाबेथ की फिलिप से नजदीकी किसी से छुपी नहीं थी। दूसरा विश्व युद्ध में टेरिटोरियल सर्विस में हिस्सा लेने वाली एलिजाबेथ विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद फिलिप से शादी करना चाहती थीं। कई अड़चनों के बाद 20 नवंबर 1947 को एलिजाबेथ की शादी फिलिप से हुई। 1948 में एलिजाबेथ को पहली औलाद प्रिंस चार्ल्स के रूप में मिली। दो साल बाद उनकी बेटी एना का जन्म हुआ।