काबुल । भारत ने उन पश्चिमी देशों को चेताया है जो अपने हथियारों से संबंधित जनाकारियां पाकिस्तान को देते हैं। भारत ने कहा है कि इस्लामाबाद इन पश्चिमी देशों की मिलिट्री तकनीक को बीजिंग से शेयर कर रहा है। भारतीय वायुसेना के प्रमुख मार्शल वीआर चौधरी ने मंगलवार को यह बात कही। इसके साथ ही वायुसेना प्रमुख ने साफ किया कि सिनो-पाकिस्तान पार्टनशिप से ग्लोबल या क्षेत्रीय स्तर पर कोई खतरा नहीं है और इससे घबराने की जरुरत नहीं है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखते हुए वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि भारतीय वायुसेना की नजर चीनी वायुसेना पर है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी एयर फोर्स ईस्टर्न लद्दाख में भारतीय सीमा के बिल्कुल पास तीन बेस तैयार कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद वो ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर किसी आॅरपरेशन को चलाने के लिए मजबूत स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘इससे (चीन-पाकिस्तान पार्टनरशिप) घबराने की कोई जरुरत नहीं है। चिंता की बात सिर्फ वेस्टर्न तकनीक को लेकर है। पाकिस्तान यूएस, स्वीडन और अन्य यूरोपिय देशों से मिले मिलिट्री तकनीक को लगातार चीन को दे रहा है।’ जब आईएएफ चीफ से यह पूछा गया कि ईस्टर्न लद्दाख में लाइन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल के पास चीन अपनी तरफ फाइटर एयरक्राफ्ट की तैनाती कर रहा था। इसपर एयर चीफ मार्शल ने कहा कि उस इलाके में भारतीय वायुसेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार थी।
भारतीय सीमा के पास पाकिस्तान की तरफ से एयरफिल्ड्स को लेकर बढ़ रहे खतरे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय वायुसेना के प्रमुख ने कहा कि यह नए एयरफिल्ड्स ज्यादातर हेलिकॉप्टर से होने वाले आॅपरेशन के लिए तैनात किये गये थे। यह ज्यादातर अफगानिस्तान की सीमाओं पर तैनात थे ताकि अफगानिस्तान से पाकिस्तानियों को निकाला जा सके। वायुसेना प्रमुख ने जानकारी दी है कि रूस से एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की पहली खेप इसी साल भारत पहुंच जाएगी। इसके साथ ही स्पाइडर, एमआरएसएएम और आकाश सरफेस जैसे हथियार भी देश की एयर विपन सिस्टम को मजबूत करने का काम करेंगे।