चीन आगामी 10 साल में अपने परमाणु हथियारों की संख्या दो गुनी करने की योजना पर काम कर रहा है। वह ऐसी मिसाइलें भी बनाने की कोशिश में है, जो अमेरिका तक मार कर सकें। यह जानकारी अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में कही है। अनुमान है कि अभी चीन के पास 200 परमाणु हथियार हैं। चीन अपने परमाणु हथियार भंडार को दो गुना करने के बावजूद अमेरिका से काफी पीछे रहेगा।
अमेरिका के पास अभी सक्रिय अवस्था में 3,800 परमाणु हथियार हैं और करीब इतने ही निष्क्रिय दशा में हैं, जिन्हें आपातस्थिति में कुछ हफ्तों के भीतर तैयार किया जा सकता है। चीन के पास अमेरिका जैसी परमाणु अस्त्रों से लैस वायुसेना भी नहीं है। चीन अपनी इस कमजोरी से निजात पाने में जी-जान से जुटा है। वह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल बनाने में जुटा है, जिसे हवा से छोड़ा जा सकेगा। ट्रंप प्रशासन ने कुछ महीने पहने चीन और रूस से त्रिपक्षीय समझौता करने का अनुरोध किया था, लेकिन चीन ने उसे खारिज कर दिया था। अमेरिका ने यह अनुरोध अमेरिका और रूस के बीच स्टार्ट संधि खत्म हो जाने के बाद किया था जिसमें परमाणु हथियारों को सीमित रखने का प्रावधान था। चीन के अधिकारियों ने इस प्रस्ताव को यह कहकर नकार दिया कि अमेरिका और रूस की तुलना में चीन का परमाणु हथियार भंडार काफी छोटा है। ऐसे में हथियारों को सीमित करने के किसी समझौते में शामिल होने से उनसे नुकसान होगा। ऐसे में चीन को किसी समझौते में शामिल कर अमेरिका उसके कद को बढ़ने से रोकना चाहता है।
अमेरिकी संसद में पेश पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाकर चीन अपने उस बड़ी कार्ययोजना पर कार्य कर रहा है, जिसमें उसे दुनिया में महाशक्ति का दर्जा हासिल करना है। ऐसा कर 2049 तक वह अमेरिका की टक्कर पर खड़ा होना या उससे आगे निकलना चाह रहा है। चीन का उद्देश्य एशिया-प्रशांत महासागर क्षेत्र की सबसे बड़ी ताकत बनना है।