रायपुर। केंद्र सरकार की संस्था पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण ने छत्तीसगढ़ सरकार के कर्मचारियों के पेंशन अंशदान के रूप में जमा 17 हजार 240 करोड़ रुपए की राशि को वापस करने से इनकार कर दिया है। इसकी वजह से पुरानी पेंशन योजना के सभी प्रावधानों को लागू करने में राज्य सरकार को दिक्कत हो सकती है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में बताया है, राज्य सरकार की ओर से वित्त विभाग के सचिव ने 20 मई को पेंशन कोष नियामक और विकास प्राधिकरण को एक पत्र भेजा था। उसमें राज्य सरकार की ओर से पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की जानकारी देते हुए नई पेंशन योजना के कर्मचारी और राज्य सरकार के अंशदान के तौर पर जमा राशि को वापस मांगा था। राज्य सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक राज्य सरकार के योगदान की कुल राशि और कर्मचारी के अंशदान की संयुक्त हिस्सेदारी का वर्तमान बाजार मूल्य 17 हजार 240 करोड रुपए है। इसे राज्य सरकार के लोक लेखा के तहत अलग पेंशन फंड में रखा जाना है। पिछले वित्तीय वर्ष की पेंशन देनदारियों के 4 प्रतिशत के बराबर राशि राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वित्तीय वर्ष में इस पेंशन फंड में निवेश करने की भी योजना की जानकारी दी गई थी।
26 मई को पीएफआरडीए ने एक पत्र भेजकर बताया है कि उनके नियमों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे राज्य सरकार को नियोक्ता एवं कर्मचारी अंशदान की राशि को वापस लौटाया जा सके। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार की योजना का हवाला देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वे पीएफआरडीए को एनएसडीएल के पास जमा राज्य सरकार और कर्मचारी अंशदान की राशि को वापस करने के लिए निर्देशित करें।
मुख्यमंत्री ने संघीय ढांचे का हवाला दिया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पत्र में तर्क दिया है कि राज्य सरकार द्वारा एनपीएस ट्रस्ट और एनएसडीएल के साथ के साथ किए गए अनुबंधों में ऐसा कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है जो राज्य सरकार को नवीन अंशदायी पेंशन योजना के लिए हुए अनुबंध से बाहर जाने और पुरानी पेंशन योजना लागू करने से रोकता हो। संघीय ढांचे में राज्य सरकार का यह संप्रभु निर्णय है। राज्य सरकार द्वारा राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत बजट घोषणा व उसके अनुक्रम में मंत्रिपरिषद द्वारा राज्य के सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने हेतु लिए गए निर्णय के क्रियान्वयन को रोका जाना उचित नहीं होगा।