वनांचल में हरियाली और लोगों की आय वृद्धि में नरवा विकास महत्वपूर्ण : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
4.72 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों को 34.41 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि का वितरण
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए आज सरफेस वाटर और भूमिगत जल को सहेजने की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने नरवा योजना के अंतर्गत किए जा रहे हैं भू जल संवर्धन और संरक्षण के कार्य की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करने के निर्देश दिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने की। मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास कार्यालय में वन विभाग द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस दौरान राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम नरवा विकास के तहत वर्ष 2022-23 में प्रदेश के 40 वन मंडलों में कैम्पा मद से 300 करोड़ 52 लाख रूपए की लागत से स्वीकृत कार्यों का शुभारंभ किया। उन्होंने प्रदेश में वर्ष 2020 में हुए तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य के लिए 432 समितियों के 4 लाख 72 हजार संग्राहकों को 34 करोड़ 41 लाख रुपए की राशि प्रोत्साहन पारिश्रमिक के रूप में सीधे उनके बैंक खातों में अंतरित भी की। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम में वन वृत्त स्तर पर रायपुर, बिलासपुर, कांकेर, जगदलपुर और सरगुजा में वनोपजों और उत्पादों की गुणवत्ता के परीक्षण के लिए स्थापित प्रयोगशालाओं का लोकार्पण किया। साथ ही उन्होंने महासमुन्द वन मण्डल में 5 करोड़ रूपए की लागत से ईको-टूरिज्म विकास के कार्यों का भी शुभारंभ किया।
नरवा विकास कार्यक्रम को एक अभियान का रूप दिया जाए
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि वनांचल में हरियाली लाने तथा लोगों की आय में वृद्धि के लिए नरवा विकास योजना महत्वपूर्ण है। इसकी महत्ता को ध्यान में रखते हुए नरवा विकास कार्यक्रम को एक अभियान का रूप दिया जाए। उन्होंने कहा कि इसकी गुणवत्ता में कोई समझौता न हो, इसका विशेष ध्यान रखें। मुख्यमंत्री ने भेंट मुलाकात अभियान के दौरान सरगुजा और बस्तर संभाग के भ्रमण का उल्लेख करते हुए कहा कि सूरजपुर, बीजापुर और सुकमा में जल स्तर काफी नीचे है, इसलिए इन जिलों में अधिक से अधिक नरवा विकास का कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भेंट मुलाकात के दौरान जानकारी मिली की वन क्षेत्रों में इन कार्यों से जल स्तरों लगभग 30 सेंटीमीटर जबकि मैदानी क्षेत्रों जलस्तर में लगभग 7 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। कई जगह नरवा विकास का कार्य बहुत अच्छे तरीके से किया गया है। उन्होंने कहा कि नरवा विकास के कार्य से वन क्षेत्रों में वन्यजीवों और पशु पक्षियों के लिए ना सिर्फ जल की उपलब्धता होगी बल्कि खेती करने वाले भी दो फसलें ले सकेंगे, इससे बायो डायवर्सिटी को बढने में भी मदद मिलेगी।
वनों में फलदार पौधों के वृक्षारोपण के निर्देश दिए
मुख्यमंत्री ने वनों में फलदार पौधों के वृक्षारोपण के निर्देश दिए। उन्होंने भेंट मुलाकात के दौरान कोंडागांव, कांकेर, बीजापुर में सी-मार्ट के लोकार्पण का उल्लेख करते हुए कहा कि ये मार्ट काफी अच्छे बनाए गए हैं, यहां इस बात को ध्यान में रखने की जरूरत है कि वहां उत्पादों की कीमतें बाजार मूल्य से कम हो। श्री बघेल ने कुछ जिलों में नेट से महुआ कलेक्शन के प्रारंभ हुए कार्य का जिक्र करते हुए कहा कि इससे महुआ संग्राहकों को अच्छा फायदा हो रहा है, इसी तर्ज पर नेट के माध्यम से चार-चिरौंजी का भी संग्रहण किया जाए। चार-चिरौंजी का बाजार में अच्छा मूल्य मिलता है। वर्तमान में लोग चार एकत्र करने के लिए पेड़ की डंगाल ही काट लेते हैं, यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई पेड़ ना काटे। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में साढ़े तीन साल पहले हम लोगों ने खेती-किसानी के समानांतर वन और वनोपज आधारित एक मजबूत अर्थव्यवस्था के निर्माण की शुरूआत की थी, ताकि हमारे ग्रामीण तथा वनवासी भाई बहनों को दोहरा लाभ हो सके। दोगुनी ताकत के साथ उनके जीवन में बदलाव लाया जा सके। मुझे खुशी है कि हमने दोनों ही मोर्चों पर बड़ी सफलताएं अर्जित की हैं। एक तरफ हमारी खेती-किसानी मजबूत हुई है तो दूसरी तरफ वन तथा वनोपज से होने वाली आय में भी बढ़ोतरी हुई है। वनोपजों को ग्रामीणों की नयी ताकत बनाने के लिए हमने अनेक स्तर पर पहल की है। समय-समय पर वनवासी भाइयों को हम नयी-नयी सौगात देते रहे हैं। आज भी इस कार्यक्रम के माध्यम से बड़ी सौगातें दी जा रही हैं।