राजस्थान के उदयपुर में एक दर्जी की बर्बर तरीके से हुई हत्या पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मदरसा शिक्षा पर सवाल उठाया है। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि क्या मदरसों में छोटे बच्चों को सिखाया जा रहा है कि ईश निंदा की सजा गला काटना है। खान ने कहा कि 14 साल की उम्र तक के बच्चों को सामान्य शिक्षा दी जानी चाहिए, मदरसा शिक्षा नहीं। यह उनका बुनियादी अधिकार है। उसके बाद ही बच्चों को कोई विशेष शिक्षा दी जानी चाहिए।
उदयपुर की घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए खान ने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या हमारे बच्चों को ईश निंदा करने वालों का सिर कलम करना पढ़ाया जा रहा है? मुस्लिम कानून कुरान से नहीं आया है, मुस्लिम शासकों के दौर में इसे व्यक्तियों ने लिखा है, जिसमें सिर कलम करने का कानून है और यह कानून बच्चों को मदरसों में पढ़ाया जा रहा है।”
केरल के राज्यपाल ने कहा कि मदरसों में पांच-छह साल की उम्र के बच्चों को पढ़ाया जाता है कि यह खुदा का कानून है। इससे बच्चे प्रभावित हो जाते हैैं और उसी के मुताबिक व्यवहार करने लगते हैैं। इसलिए इस बीमारी से निपटने का प्रयास होना चाहिए। खान ने कहा कि कोई चीज जब धर्म और आस्था से जोड़ दी जाती है तो लोग उस पर तुरंत यकीन कर लेते हैैं और उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैैं।