
सरकार और सिस्टम वादा और दावा करती हैं कि प्रदेश में शिक्षा का स्तर और सुविधा बेहतर हुई है और बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार कार्य किये जा रहे हैं, पर कोयलीबेड़ा ब्लॉक के ग्राम ढोरकट्टा का शासकीय प्राथमिक शाला सरकार के इन दावों की पोल खोल रही है। ढोरकट्टा गांव का शासकीय प्राथमिक शाला पिछले कई सालों से जर्जर स्थिति में है। बारिश आते ही स्थिति बद से बदत्तर हो जाती है। स्कूल की छत से पानी टपकता है, दीवारों पर कई दरारे हैं और छत कभी भी टूट कर गिर सकता है। इस स्कूल में 31 मासूम बच्चे पढ़ते हैं। बारिश के दिनों में स्कूल का फर्श गीला हो जाता है और पूरा का पूरा स्कूल बैठने लायक नहीं रहता।
Children forced to build their future under kitchen shed and palm leaves in Pakhanjoor
स्कूल के शिक्षक और ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से स्कूल के मरम्मत और नए स्कूल भवन के निर्माण के लिए गुहार लगाई है, परंतु आज तक इन मासूम बच्चों को स्कूल भवन नसीब नहीं हुआ है।जर्ज़र स्कूल के छत के नीचे बच्चों की जान हमेशा खतरे में रहती है लिहाजा स्कूल के शिक्षक ने स्वयं के खर्चे पर रस्सी और ताडपत्री की व्यवस्था कर बच्चों के बैठने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की है। बच्चे रसोई और ताडपत्री के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। बच्चे रोजाना कंधों पर बैग लटकाए कॉपी पुस्तक के साथ इस उम्मीद से स्कूल पहुंचते हैं कि वे स्कूल में अपना बेहतर भविष्य गढ़ेंगे। इस स्कूल में पढ़कर वे डॉक्टर ,इंजीनियर,पायलट और शिक्षक बनेंगे परंतु इस स्कूल में उनके जान पर ही खतरा बना होता है। शिक्षक और ग्रामीणों के सालों के इस गुहार पर सरकार या प्रशासन ने अब तक कोई पहल नहीं की गई।