वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति बदलने के लिए चीन सलामी-स्लाइसिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। इस तकनीक से वह टुकड़े-टुकड़े में कई जगह भारतीय जमीन पर कब्जा करता है और जब विवाद खड़ा होता है तो उनमें से एक टुकड़े का कब्जा छोड़ देता है लेकिन बाकी पर कब्जा बनाए रखता है। इसके बाद अगले कब्जे की योजना तैयार करने में जुट जाता है। पूर्वी लद्दाख में उसने इसी तकनीक से कब्जा किया है।
एक जनवरी से प्रचलन में आए चीन के लैैंड बार्डर ला (एलबीएल) का सबसे बड़ा असर भारत पर ही पड़ना है क्योंकि उसकी करीब 3,800 किलोमीटर लंबी जमीनी सीमा भारत से लगती है। चीन की इससे ज्यादा लंबी सीमा रूस के साथ है लेकिन उसको लेकर विवाद खत्म हो चुका है। एलबीएल में नागरिक-सैन्य गठजोड़ को मजबूत करने की बात कही गई है। इसके तहत सीमा क्षेत्रों में नए गांव बसाने की बात है। इसकी पृष्ठभूमि में गांवों से सेना को हर तरह का सहयोग मिलने की सोच है। इस रणनीति के तहत अरुणाचल प्रदेश के नजदीक चीन के नए गांव बसाने की जानकारी सार्वजनिक हो चुकी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पर गांव बसाने की नीति से सलामी-स्लाइसिंग तकनीक को लागू करने में मदद मिलेगी। गांव के लोग पहले भारतीय जमीन पर अपनी सामान्य गतिविधियां बढ़ाएंगे और उसके बाद चीन की सेना उसे अपनी जमीन बताते हुए वहां पर अपना झंडा गाड़ देगी। पालिसी रिसर्च ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार चीन दावा करता है कि उसने अपनी क्षेत्रीय अखंडता और सीमा को सुरक्षित बनाने के लिए एलबीएल बनाया है। लेकिन वास्तव में यह कानून उसने भारत की जमीन पर कब्जा करने के लिए बनाया है। इसके जरिये वह भारत से बिना युद्ध लड़े और व्यापार जारी रखते हुए भारत की जमीन पर कब्जा करता रहेगा। पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ के बाद सलामी-स्लाइसिंग की आश्ांका श्ाहीद सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने जता दी थी।