बिहार का हाल आजकल विचित्र हो गया है। यहां डॉक्टर पर चलने को मजबूर है और कोराना के मरीज इलाज के लिए तडप रहे हैं। इस समय बिहार में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 20 हजार के पार पहुंच गया है। इसके बावजूद कहीं मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है तो कहीं कोविंड-19 हॉस्पिटल बाढ़ की चपेट में है। बिहार की इस दुर्दशा से आमलोगों की कौन कहे खुद नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और कार्यकर्ता तक परेशान हैं।
बिहार के सुपौल से प्रदेश के स्वास्थ व्यवस्था की पोल खोलने वाली एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसे देखकर लोग हैरान हैं। इस तस्वीर में एक डॉक्टर ठेले पर बैठकर कोविड-19 सेंटर में जा रहा था। दरअसल सुपौल के कोविड-19 सेंटर में पानी भर गया था। इसके कारण डॉक्टर अमरेंद्र कुमार को ठेले पर बैठकर कोविड-19 सेंटर जाना पड़ा।
बिहार में राज्यपाल निवास से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक कोरोना संक्रमण की चपेट में है। गत दिनों तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भतीजी ही कोरोना पॉजिटिव निकली थी। राज्यपाल निवास के कर्मचारी भी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इतना ही बिहार भाजपा के दफ्तर में भी कोरोना संक्रमण फैल गया है। प्रदेश अध्यक्ष समेत कई नेता कोरोना संक्रमित हैं।
हाल में ही गृह विभाग के अवर सचिव उमेश रजक की पटना एम्स में कोरोना से मौत हो गई थी। इलाज के लिए उन्हें 24 घंटे तक अस्पताल के बाहर फर्श पर उन्हें इंतजार करना पड़ा था। जब इस संबंध में वीडियो वायरल हुआ तो उन्हें भर्ती किया गया था।
पटना महानगर के जेडीयू युवा इकाई के प्रवक्ता अमित कुमार सिंह ने 5 दिन पहले एक फेसबुक लाइव किया, जिसमें उन्होंने के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच के बदहाली की तस्वीरें दिखाई। पांच दिन पहले ही पीएमसीएच में अमित कुमार सिंह के जीजा की मौत हो गई थी और उन्होंने आरोप लगाया कि डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से ऐसा हुआ।
पटना एम्स में तैनात डॉक्टर एनके सिंह और डॉक्टर अश्विनी कुमार ननकुलियार की कोरोना से मौत हो गई है। डॉक्टर सिंह की रिपोर्ट आठ दिन पहले ही पॉजिटिव आई थी और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पिछले 24 घंटे में एम्स में कोरोना से दो डॉक्टरों की मौत से हड़कंप मच गया। कई मेडिकल स्टॉफ कोरोना पॉजिटिव हैं।
इससे पहले मगध डेयरी के एमडी अवधेश कुमार कर्ण की भी कोरोना से मौत हो गई। लोगों की शिकायत है कि स्वास्थय विभाग कोरोना जांच कराने में कोताही बरत रहा है। बीते दिनों नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल (एनएमसीएच) में बड़ी लापरवाही सामने आई थी। एक व्यक्ति की मौत के बाद मरीज का शव दो दिन तक वार्ड के बेड पर पड़ा रहा। मंगलवार को दो मरीजों की मौत हो गई, लेकिन उनके शव को बुधवार रात तक नहीं हटाया गया। इस लापरवाही के खिलाफ तीमारदारों ने जमकर हंगामा किया था।
इसी तरह खगड़िया में ईवीएम की ट्रेनिंग के दौरान संक्रमित हुए प्रधानाचार्य कैलाश झा किंकर की 13 जुलाई को मौत हो गई थी। उन्हें आइसोलेशन सेंटर में रखा गया था। झा ने अपने दोस्त से व्हाट्सऐप पर बात करते हुए आइसोलेशन सेंटर की पोल खोल दी थी। उन्होंने कहा था कि व्यवस्था नहीं है. सेंटर के डॉक्टर मरीजों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।