- कोरोनाकाल में दिन-रात कर रहे लोगों की सेवा, घर वालों को बचा सकें यही है मन की इच्छा
पूरी दुनिया में कोरोना कहर बरसा रहा है। इससे बचने के लिए दो गज की दूरी रखने की हर बार लोगों को हिदायत दी जा रही है, ऐेसे में हेल्थ डिपार्टमेंट से जुड़े कितने ही लोग हैं जो कोरोना पेशेंट को छू रहे हैं, उनकी सेवा कर रहे हैं, उन्हें ठीक करने की हर कोशिश कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है धनीराम साहू जोकि एम्स हॉस्पिटल में कार्डियक डिपार्टमेंट में टेक्निकल आॅफिसर हैं। इसकी दो बेटियां हैं एक तीन साल की है और एक 11 साल की है। ऐसे कठिन समय में बच्चों को अपने से दूर रखना सबसे बड़ी परीक्षा की घड़ी होती है। कोरोना वरियर पिता के हॉस्पिटल से घर पहुंचते हैं तो दोनों बच्चियां उन्हें गले लगाने के लिए दौड़ती हैं, लेकिन कोरोना से बचाव के लिए उन्हें उस प्यार भरे पल में बच्चों से खुद को दूर करना पड़ता है।
धनीराम कोरोना काल से लगातार लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। बिना एक भी दिन की छुट्टी और राहत लिए हर दिन ड्यूटी में तैयान होना उनकी पहली प्राथमिकता रही है। चारों तरफ चिंता के माहौल में खुद को कोरोना से बचा कर रखना बड़ा ही मुश्किल भरा रहता है। वह बताते हैं कि हॉस्पिटल में जाने के बाद हर तरफ खतरा रहा है। खुद को कोरोना से बचाने के लिए तरह-तरह के उपाय और जतन करना पड़ता है। वह बताते हैं कि हर हॉस्पिटल में इंफैक्शन कंट्रोल टीम होती है जोकि समय समय पर बदलने वाली गाईड लाइन के अनुसार हमें ट्रेनिंग देती है। पीपीई किट पहनने से लेकर उसे उतारने, कपड़े पहनने, ग्लब्स,मास्क पहलने उतारने सभी का खास तरीका होता है, जिसे अपना कर बचना संभव हो पाता है।
लंग्स के मरीजों करते हैं इलाज
धानीराम फेफड़ों में इंफेक्शन या फिर उससे जुड़े मरीजों का इलाज करने में मदद करते हैं। वह कहते हैं कि आज के समय को देखते हुए ये नहीं सोचा जा सकता की किसी कोरोना नहीं है, हमें हर मरीज का इलाज करना है कई बार ऐसा होता है कि मरीज दूसरी बीमारी के इलाज के लिए आता है और उसकी जांच कराने पर वह कोविड पॉजिटिव पाया जाता है। ऐसे हालत में मरीज को छूना उसकी जांच करना जैसी सभी काम करने होते हैं। तब पीपीई किट और सावधानी से ही बचा जा सकता है। कोरोना काल में ही चार से पांच ऐसी सर्जरी किए हैं, जिसमें फेफड़े में इंफेक्शन था। ऐसे कई कोरोना पेशेंट भी होते हैं जो आईसीयू में होते हैं उन्हें फेफड़े में इंफेक्शन या और दूसरी गंभीर तकलीफ रहती है ऐसे में धनिराम को लगातार लंबे समय तक पीपीई किट पहनकर काम करना पड़ता है।
परिवार के लोगों को बचाना है एक चुनौती
कई बार ऐसा होता है कि ड्यूटी होने के बाद पता चलता है कि जिस मरीज का चैकअप किया है उसे कोविड है। ऐेसे में हमें हर दिन परिवार से दूरी बना कर रखना होता है। जब लगता है कि हम सस्पेक्टेड मरीज के संपर्क में आए हैं तो बच्चों को और पत्नी को अपने से दूर कर देते हैं। बच्चों को हिदायत देते हैं कि वो हमसे दूर रहें। एक कमरे में अलग रहकर समय बीतने की रास्ता देखते हैं। धनीराम कहते हैं कि जो नहीं बचपाए उनका इलाज हो रहा है लेकिन हम हेल्थ कर्मियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती परिवार के लोगों और बच्चों को बचा के रखना होता है। धनीराम की पत्नी भी नर्स हैं मेकाहारा में। दोनों स्वस्थ से जुड़े हुए हैं इस कारण घर मे आसानी से चीजे सुधार जाती है।