मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले दल-बदल का खेल जारी है। नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी में शामिल हो रहे है। हाल ही में कांग्रेस के कई नेताओं ने हाथ छोड़कर कमल के साथ हो गए और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। विधानसभा चुनाव के पहले भी कई नेता इधर से उधर हुए, लेकिन कुछ नेताओं के दल-बदल फायदेमंद रहा तो कई हासिए पर चले गए।
विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस का हाथ थामा था। उनमें से 7 नेताओं को चुनावी रण में उतारा गया। इनमें से 3 को जीत भी मिली। वहीं, भाजपा ने भी करीब 7 कांग्रेस नेताओं को टिकट दिया था और सभी जीत गए। लोकसभा चुनाव पहले दलबदल कर भाजपा में शामिल होने वालों में बहुत कम को मौका मिला है। 2019 लोकसभा चुनाव में भी कई नेता ऐसे रहे, जिन्हें दलबदल करने के बाद टिकट मिला और उन्हें जीत भी मिली। इनमें गुना से केपी सिंह यादव, होशंगाबाद से राव उदय प्रताप सिंह और भिंड से डॉ. भागीरथ प्रसाद शामिल हैं। तीनों नेता पहले कांग्रेस में थे और भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी।
ऐसे में कहा जा सकता है कि दलबदल कर भाजपा में आने वाले कांग्रेस नेता फायदे में रहे। चुनाव के दौरान दलबदल करने का दौर नया नहीं है। हालांकि दल बदल करने के फायदे कुछ चुनिंदा नेताओं को ही मिल पाते हैं बाकी नेताओं को दलबदल करना महंगा पड़ जाता है। वे राजनीति की मुख्य धारा से कट जाते हैं।