डायबिटीज के मरीजों के लिए खाने की मात्रा और कैलोरी की तरह ही भोजन का समय भी काफी महत्वपूर्ण होता है। विज्ञानियों का यह हालिया शोध निष्कर्ष ‘द जर्नल आफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलाजी एंड मेटाबालिज्म” नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का मानना है कि व्यक्ति के खाने का समय बायोलाजिकल क्लाक के अनुरूप होना चाहिए। बायोलाजिकल क्लाक एक प्राकृतिक, आंतरिक प्रक्रिया है, जो सोने व जागने के चक्र को नियंत्रित करती है और हर 24 घंटे में खुद को दोहराती है। डायबिटीज पीड़ितों की सेहत को सुधारा जा सकता है, बशर्ते दिन के अलग-अलग समय में अलग-अलग खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाए। चीन स्थित हार्बिन मेडिकल यूनिवर्सिटी के किंगराव सोंग के अनुसार, ‘अध्ययन में हमने पाया कि सुबह में आलू, दोपहर में साबुत अनाज और शाम में साग, दूध तथा कम प्रसंस्करित खाना खाने से डायबिटीज के मरीजों की उम्र लंबी हो सकती है।” शोधकर्ताओं ने दिल की बीमारियों के कारण मृत्यु की आशंका को निर्धारित करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य व पोषण परीक्षण सर्वेक्षण से डायबिटीज पीड़ित 4,642 लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि खानपान के निर्धारित चक्र का अनुपालन करने वाले डायबिटीज के मरीजों में दिल की बीमारी से मौत की आश्ांका कम होती है।