आटिज्म स्पेक्ट्रम एक गंभीर विकासात्मक बीमारी है, जिसकी वजह से पीड़ित की संवाद संप्रेषण और बातचीत करने की क्षमता प्रभावित होती है। यह बीमारी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है और पीड़ित के समग्र संज्ञानात्मक, भावनात्मक, सामाजिक व शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है। अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन के एक नए अध्ययन में पता चला है कि आटिज्म पीड़ित लड़कों व लड़कियों के मस्तिष्क में अंतर होता है। यह अध्ययन ‘द ब्रिटिश जर्नल आफ साइकियाट्री” में प्रकाशित (हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से सैकड़ों दिमाग के विश्लेषण के बाद आटिज्म के प्रभाव की पहचान अपने-आप में अनोखी थी। विज्ञानियों ने बताया कि इस शोध ने यह व्याख्या करने में मदद की है कि आटिज्म के लक्षण लड़कों व लड़कियों में क्यों अलग-अलग होते हैैं। मनोचिकित्सा एवं व्यवहार विज्ञान के सहायक प्रोफेसर व अध्ययन के प्रमुख लेखक कौस्तुभ सुपेकर के अनुसार, ‘यह अध्ययन बताता है कि हमें अलग तरह से सोचने की जरूरत है।” इसी विभाग में प्रोफेसर व अध्ययन के वरिष्ठ लेखक विनोद मेनन, रशेल एल. एवं वाल्टर एफ. निकोलस ने कहा, ‘हमने आटिज्म पीड़ित लड़कों व लड़िकयों के दिमाग में उल्लेखनीय अंतर पाया और लड़कियों में अलग तरीके से इस बीमारी की पहचान करने की क्षमता हासिल की। हम जानते हैं कि लक्षण्ाों को छिपाने के कारण्ा लड़कियों में आटिज्म की पहचान एक चुनौती होती है, जिससे उनके इलाज में भी देर होती है।”