
भारत में बहुप्रतीक्षित जनगणना 2026 की शुरुआत अगले साल 1 अप्रैल से होने जा रही है। यह पहली बार होगा जब जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए आयोजित की जाएगी। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) और सेंसस कमिश्नर ने इसकी तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर निर्देश जारी किए हैं। यह जनगणना दो चरणों में होगी, जिसमें पहला चरण मकान सूचीकरण और दूसरा चरण जनसंख्या गणना होगा।
पहला चरण, जो अप्रैल 2026 से शुरू होगा, मकान सूचीकरण और हाउसिंग सेंसस पर केंद्रित होगा। इस दौरान गणनाकर्ता घर-घर जाकर आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुख-सुविधा से जुड़ी चीजों की जानकारी इकट्ठा करेंगे। लोगों से उनके घर में मौजूद वाहन (जैसे साइकिल, मोटरसाइकिल, कार), इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (फोन, टीवी, फ्रिज, रेडियो), इंटरनेट कनेक्शन, पीने के पानी का स्रोत, शौचालय, रसोई, और गैस कनेक्शन (एलपीजी/पीएनजी) जैसी सुविधाओं का ब्योरा लिया जाएगा। इसके अलावा, घर की छत, दीवारों, और फर्श की सामग्री, कमरों की संख्या, विवाहित दंपतियों की संख्या, और घर के मुखिया (महिला या पुरुष) की जानकारी भी दर्ज की जाएगी।
इस बार की जनगणना में पहली बार डिजिटल तकनीक का उपयोग होगा, जिसमें मोबाइल एप्लिकेशन और जीपीएस-सक्षम उपकरण शामिल हैं। यह ऐप 16 भाषाओं में उपलब्ध होगा, और इसमें प्री-फिल्ड रिकॉर्ड्स को संपादित करने की सुविधा होगी। लगभग 50% आबादी स्व-गणना (सेल्फ-इन्यूमरेशन) के जरिए अपनी जानकारी ऑनलाइन दर्ज कर सकेगी, जिससे कागजी प्रक्रिया कम होगी। इंटेलिजेंट कैरेक्टर रिकग्निशन (ICR) और AI-आधारित प्रोसेसिंग से डेटा तुरंत संरचित हो सकेगा, जिससे प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी।
दूसरा चरण, जो फरवरी 2027 में शुरू होगा, जनसंख्या गणना (पॉपुलेशन एन्यूमरेशन) पर केंद्रित होगा। इस दौरान प्रत्येक व्यक्ति की जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक, और जातीय जानकारी एकत्र की जाएगी। खास बात यह है कि स्वतंत्र भारत में पहली बार जनगणना में जातिगत आंकड़े भी दर्ज किए जाएंगे, जिसमें OBC, SC, ST, और अन्य जातियों का डेटा शामिल होगा। इस चरण की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 होगी, और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, और लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में यह 1 अक्टूबर 2026 को होगी।
जनगणना के लिए करीब 34 लाख गणनाकर्ता और सुपरवाइजर फील्ड कार्य करेंगे, जबकि 1.3 लाख जनगणना अधिकारी डेटा को डिजिटलाइज करने और प्रबंधन में सहायता करेंगे। डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय किए जाएंगे, और यह जानकारी जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत गोपनीय रहेगी। राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि जिला स्तर पर सुपरवाइजर और कर्मचारियों का कार्य बंटवारा समय पर पूरा कर लिया जाए।
जनगणना में करीब 36 सवाल पूछे जाएंगे, जिनमें घर में उपयोग होने वाले अनाज (गेहूं, बाजरा, मक्का आदि), पानी की निकासी, और स्वच्छता से जुड़े सवाल शामिल हैं। यह डेटा नीति निर्माण, संसाधन वितरण, और संसदीय सीटों के परिसीमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। खासकर जातिगत आंकड़े सामाजिक न्याय और आरक्षण नीतियों को आकार देने में मदद करेंगे। सरकार का अनुमान है कि मार्च 2027 तक जनगणना पूरी होने के बाद दिसंबर 2027 तक अंतिम डेटा जारी हो सकता है।
भारत में हर 10 साल में होने वाली जनगणना 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित हो गई थी। अब 16 साल के अंतराल के बाद यह जनगणना 2027 में पूरी होगी, जो स्वतंत्र भारत की 8वीं और कुल 16वीं जनगणना होगी। यह डेटा स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, और बुनियादी सुविधाओं की नीतियों को मजबूत करने में सहायक होगा।