रायपुर। भारत एक ऐसा देश है जहाँ सबसे ज्यादा त्योहार मनाये जाते है, यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग अपने-अपने उत्सव और पर्व को अपने परंपरा और संस्कृति के अनुसार मनाते है। दीवाली हिन्दू धर्म के लिये सबसे महत्वपूर्ण, पारंपरिक, और सांस्कृतिक त्योहार है जिसको सभी अपने परिवार, मित्र और पड़ोसियों के साथ पूरे उत्साह से मनाते है। दीपावली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। दीपावली, भारत में हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है।
मान्यताएं
रोशनी का यह त्योहार दिवाली हिंदू कैलेंडर के आठवें महीने यानी, हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन का महत्व हिंदू पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में उल्लेखित है। कहा जाता है जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपने राज्य लौटे थे तो उनका लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया था और पूरे राज्य को दीयों की रोशनी से सजाकर प्रभु श्री राम, उनके भाई लक्ष्मण, और माता सीता का स्वागत किया था।
रोशनी का यह पर्व अंधकार और बुराई के अंत का भी प्रतीक माना गया है क्योंकि इसी दिन भगवान श्री राम अहंकारी रावण को हराने के बाद वापस अपने राज्य लौटे थे। ऐसे में इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है। इसके अलावा दिवाली के त्योहार के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस रात भगवान गणेश देवी लक्ष्मी के साथ स्वयं पृथ्वी पर आते हैं और जो कोई व्यक्ति इस दिन सही विधि से पूजा करता है उसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यही वजह है कि देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए लोग दिवाली की रात विधिवत रूप से पूजा अर्चना करते हैं।
इसके अलावा दिवाली के त्योहार का एक महत्व भी माना जाता है कि इस पर्व नई फसल का मौसम शुरू हो जाता है जिसे समृद्धि का और संपन्नता का प्रतीक माना गया है। ऐसे में इस शुभ दिन पर कड़ी मेहनत और श्रम करने से शुभ फल प्राप्त होता है। यह सभी बातें दिवाली के त्योहार के महत्व को बढ़ा देती हैं।
दीवाली का त्यौहार भारत में खरीद के अवधि का पर्व है। यह पर्व नए कपड़े घर के सामान, उपहार, सोने, आभूषण और अन्य बड़ी खरीदारियों का समय है। इस पर्व पर खरीदारी और खर्च को काफी शुभ माना जाता है। क्योंकि लक्ष्मी को, धन, समृद्धि, और निवेश की देवी माना जाता है। दीवाली भारत में सोने और आभूषणों की खरीद का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। आतिशबाजी की खरीद भी इस दौरान अपने चरम सीमा पर रहती है। प्रत्येक वर्ष दीवाली के दौरान पांच हज़ार करोड़ रुपए के पटाखों अदि की खपत होती है।