नई दिल्ली। कोरोना के कारण चारो धाम यात्रा पर रोक लगाई गई थी, जिसके कारण इन धामों से जुड़े लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। लोगो को अपनी आजीविका चलाना मुश्किल हो गया है। यही कारण है कि उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा पर रोक लगाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की राह चुनी है।
स्थानीय तीर्थयात्रियों को एक जुलाई को चार धाम यात्रा में भाग लेने की अनुमति देने के 25 जून के फैसले पर रोक लगा दी गई थी। सरकार ने अपनी दलील में कहा कि वहां के लोगों का रोजगार चार धाम यात्रा पर ही टिका है। उत्तराखंड सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि चार धाम यात्रा से वहां के लोगों को रोजगार मिलता है, जो उनकी कमाई का एकमात्र साधन है। इन इलाकों में लोग छह महीने बेरोजगार जैसे रहते हैं।
सरकार ने कहा कि स्थानीय लोगों को काम करने का मौका सिर्फ चार धाम यात्रा के दौरान ही मिलता है, इसलिए अगर यात्रा रद्द कर दी गई तो वहां के लोगों को आर्थिक तंगी होगी।
राज्य सरकार ने यह देखते हुए कि चार धाम समुद्र तल से लगभग 12,000 से 14,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं और सर्दियों में मौसम शून्य से 5 और शून्य से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच गिर जाता है, अपनी याचिका में कहा, कठोर जलवायु के कारण चार धाम यात्रा के दौरान आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों की आजीविका काफी हद तक यात्रा के दौरान पर्यटन और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से होने वाली कमाई पर निर्भर है।