भारत ने गुरुवार को भी ओडिशा तट के पास सतह से सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’(Pralay conventional quasi ballistic missile) का सफल परीक्षण किया. इस संबंध में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने यह जानकारी दी. 24 घंटे के भीतर यह मिसाइल का दूसरा सफल परीक्षण है. बुधवार को भी इसका सफल परीक्षण किया गया था. देश में यह पहली बार है कि किसी डेवलपमेंट मिसाइल का लगातार दो दिनों में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है.
पाकिस्तान या चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत पूरी तैयारी में लगा है. चीन और पाकिस्तान को अब भारत पर वार करने के लिए एक बार सोचना पड़ेगा. हाल में ही रुस ने भारत को ऐसा तोहफा दिया है जो दुश्मनों के लिए सामत बनने वाली है और अब सुरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने पहली बार छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय का सफल परीक्षण कर लिया है. यह मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के टारगेट को बर्बाद कर सकती है. यानी सीमा के पास से दागने पर यह दुश्मन के बंकरों, तोपों, बेस आदि को खत्म करने में समय नहीं लगाएगी.
प्रलय शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है. यह जमीन से जमीन पर मार करने के लिए बनाई गई है. डीआरडीओ ने इसे भारत की भरोसेमंद पृथ्वी मिसाइल प्रणाली पर बनाया है. डीआरडीओ ने 22 दिसंबर 2021 को ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सुबह 10.30 बजे इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया. परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सभी तय मानकों को पूरा किया. साथ ही दुश्मन के ठिकाने को सटीकता से नष्ट किया.
यह मिसाइल 5 टन वजनी है. इसमें 500 से 1000 किलोग्राम तक के पांरपरिक हथियार लगाए जा सकते हैं. यह इनर्शियल गाइंडेंस सिस्टम पर चलने वाली मिसाइल है जिसमें सॉलिड प्रोपेलेंट फ्यूल है. इस मिसाइल के बारे में ज्यादा जानकारी सरकार या डीआरडीओ द्वारा शेयर नहीं की गई है. चुंकि यह पृथ्वी मिसाइल की तकनीक पर बनी है, तो आपको बता दें कि यह भारत की तीन शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक से मिलकर या प्रेरित होकर बनाई गई होगी. ये हैं – प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 मिसाइल.
अगर पृथ्वी-3 मिसाइल के प्लेटफॉर्म को इसका आधार मानते हैं तो प्रलय मिसाइल के वॉरहेड में हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और रणनीतिक परमाणु हथियार भी लगाए जा सकते हैं. हालांकि इस बात की पुष्टि अभी तक डीआरडीओ या रक्षा मंत्रालय ने नहीं की है.
प्रलय मिसाइल को विकसित करने की अनुमति मार्च 2015 में दी गई थी. तब इसके लिए 332.88 करोड़ रुपये का बजट सेंक्शन किया गया था. इसे लॉन्च करने के लिए 8×8 टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर का उपयोग किया जाता है. ये सारी मिसाइलें भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का हिस्सा है.
प्रलय मिसाइल की टारगेट ध्वस्त करने की सटीकता 10 मीटर यानी 33 फीट है. इसका मतलब ये है कि अगर टारगेट से 33 फीट के दायरे में यह मिसाइल गिरती है, तो भी उतना ही नुकसान करेगी, जितना सटीक निशाने पर गिरती तो करती. छोटी दूरी होने का फायदा ये है कि इसे आप देश की पश्चिमी या पूर्वी या उत्तरी सीमा पर तैनात करके दागते हैं तो सिर्फ वहीं इलाका नष्ट होगा, जितने की आपको जरूरत है. बेवजह का नुकसान नहीं होगा.