Ekhabri धर्मदर्शन, पूनम ऋतु सेन।विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की शुरुआत हरेली अमावस्या से होकर क्वार शुक्लपक्ष त्रयोदशी तक चलता रहता है इस प्रकार 75 दिनों तक मनाये जाने वाला पर्व माँ दन्तेश्वरी की आस्था व आराधना का प्रतीक है। बस्तर राज्य की समग्र जनजाति बस्तर दशहरा को निर्बाध रूप से संचालित करने के लिए सामूहिक भूमिका निभाते हैं जो बस्तर वासियों के सामाजिक समरसता को दर्शाता है।
कल के पोस्ट में हमने पिरतीफारा के रस्म के बारे में जाना था, आज हम इसी कड़ी में डेरीगड़ाई रस्म के बारे में जानेंगे-
डेरीगड़ाई
बस्तर दशहरा में पाट जात्रा के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण रस्म है डेरी गड़ाई। जगदलपुर के सिरासार भवन में पूरे विधि-विधान के साथ डेरी गड़ाई रस्म संपन्न की जाती है। इसके अंतर्गत बिरिंगपाल के ग्रामीण साल की दो शाखा युक्त दस फ़ीट की लकड़ी लाते है, जिसे हल्दी का लेप लगाकार प्रतिस्थापित किया जाता है। यह लकड़ी सरई पेड़ की टहनी होती है। इसके बाद से विशाल रथ निर्माण के लिए जंगलों से लकड़ी लाने की प्रक्रिया शुरु कर दी जाती हैं।
क्या है प्रक्रिया
साल प्रजाति की दो शाखायुक्त डेरी जिनमें एक स्तम्भनुमा लकड़ी जो करीब 10 फीट ऊंची होती है, उसे स्थानीय सिरहसार भवन में स्थापित किया जाता है वहीं इसके लिए 15 से 20 फीट की दूरी पर दो गड्ढे बनाए जाते हैं इसे ही डेरी कहते हैं। इन दो स्तंभों के नीचे जमीन खोदकर पहले उनमें अंडा एवं जीवित मोंगरी मछली अर्पित की जाती है। फिर उन गड्ढों में डेरी को स्थापित किया जाता है।
इस रस्म के बाद बस्तर दशहरा के विशालकाय काष्ठ रथों का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाता है। विगत छ: सौ सालों से डेरी गड़ाई की रस्म मनाई जा रही है। रथ निर्माण में कोई विघ्न ना हो इसलिये देवी को याद कर डेरी गड़ाई की रस्म पूरी की जाती है। इस दौरान उपस्थित महिलाएं हल्दी खेलकर खुशियां मनाती है।
इस वर्ष भी डेरी गड़ाई की प्रथा हुई पूरी
75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरे के लिए रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके लिए 20 फीट ऊंचा और 45 फीट लंबा दो मंजिला रथ तैयार किया जाएगा। मण्डपाच्छादन रस्म की तरह ही इस रस्म को भी पूरा किया जा चुका है। जनप्रतिनिधियों और दशहरा समिति के सदस्यों की उपस्थिति में पुजारी ने हल्दी, कुमकुम, चंदन का लेप लगाकर दो सफेद कपड़े डेरी में बांधा और पूजा कर रस्मों के साथ दशहरा पर्व निर्विघ्न संपन्न होने की ईश्वर से प्रार्थना की।
ऐसे ही आगे और अन्य रस्मों, प्रथाओं व किस्सों को जानने के लिए हमसे जुड़े रहें। अपने पाठकों के लिए Ekhabri ऐसे ही विशेष विषय पर सीरीज लेकर आते रहेगा और आप तक उसे विस्तार से पहुँचाएगा।
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