रायपुर। गर्मी के मौसम में हर किसी को शीतलता अपनी ओर खींच लेती है।हमारे राज्य में भी कोई ऐसे खूबसूरत वॉटर फॉल है जहां जा कर मनभर कर मौज मस्ती की जा सकती है। इस गर्मी के मौसम में आप भी इन स्पॉट को अपने पिकनिक और हॉल डे के लिए प्लान कर सकते है। तो आइए जानते ही राज्य के कुछ खास झरने जो आपको आकर्षित कर सकते है।
केंदई जल प्रपात
कोरबा जिले के केंदई नदी पर साल के घने वन प्रदेश से घिरे केन्दई गांव में यह जल प्रपात स्थित है
यहां एक पहाड़ी नदी करीब 200 फुट की ऊंचाई से नीचे गिरकर इस जलप्रपाच का निर्माण करती है।
इस जलप्रपात को पास में स्थित विशाल शिलाखंड से इस जलप्रपात को देखना एक अलग ही अनुभव प्रदान करता है ।
देवपहरी

देवपहरी, कोरबा से 58 किमी उत्तरी पूर्व में चौराणी नदी के किनारे पर स्थित है।
देवपहरी में इस नदी ने गोविंद कुंज नाम के एक सुंदर पानी के झरने को बनाया।
अकुरिनाला जलप्रपात
इसे कोरिया का प्राकृतिक एयरकंडीशनर कहा जाता है।
यह बैकुंठपुर से 65 कि॰मी॰ की दूरी पर बंसीपुर गांव में स्थित है। यहां पर पूरा दिन पानी की ठंड़ी फुहारें उड़ती रहती हैं। इन फुहारों में भीगना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है।
रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 18 कि.मी. की दुरी पर राम झरना है। यह एक प्राकृतिक जल का झरना है जिसका बहुत ही एतिहासिक महत्व है। भगवान राम अपने वनवास के समय एक बार यहाँ आए थे और इस झरने का जल ग्रहण किये थे, इसीलिए इसका नाम राम झरना पडा।
परसदा जलप्रपात
घोड़ाघार जलप्रपात शिशुपाल पर्वत पर ही स्थित है, जिसकी सर्वौच्च चोटी का नाम छॆमाकुटी है।
धसकुड़ झरना
महासमुंद जिले में सिरपुर से 8 किमी की दुरी पर बोरिद गांव के घने जंगल में स्थित है। यह एक मौसमी झरना है।
देवदहरा जलप्रपात
देवधारा दो पहाडियों के बीच इंद्रावन नदी पर है। इसके ऊपर भाई दाहरा, हाथ दाहरा, नागरशील और कई रमणीय सरोवर हैं, जहां सालोंभर पानी भरा रहता है।
मैनपुर से 40 और जिला मुख्यालय गरियाबंद से 87 किलोमीटर दूर देवधारा जलप्रपात का सौंदर्य देखने लायक है।
बारिश के दिनों में 60 से 70 फुट ऊंचाई से पानी जब चट्टान पर गिरता है, तो प्राकृतिक छटा देखने लायक रहती है। ग्राम कुल्हाड़ीघाट और हीरा खदान पैलीखंड के बीचोंबीच प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर देवधारा जलाशय है। गौरतलब है कि ये जलप्रपात वनभैंसों के लिए विख्यात उदंती अभयारण्य क्षेत्र के बीहड़ों में स्थित है।
बोतलधारा जलप्रपात
गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर के प्रमुख जलप्रपातो में एक बोतल धारा जलप्रपात।
तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 15 किलोमीटर की दूरी कुल्हाडीघाट के पहाडी पर बोतल धारा के रूप में पूरे प्रदेश में प्रसिध्द है।
इस वाटर फाल को तहसील मुख्यालय मैनपुर से देखा जा सकता है। लगभग दो किलोमीटर की उंचाई से बोतल की आकार लिए धुआंधार जल प्रपात को गिरते देखने का एक अलग ही अनुभव है।
यहां पहुचने के लिए मैनपुर से बुडार तक 7 किलोमीटर वाहन से पहुँचा जाता है। 6 किलोमीटर पैदल दुर्गम पहाड़ी रास्तो को पार कर यहां पहुचते है।
घटारानी जलप्रपात
जतमई मंदिर से 25 किलोमीटर दूर स्थित एक बड़ा झरना हैं।
जतमई मंदिर में ज्यादा उत्साह और भक्ति के साथ नवरात्रि पर्व मनाया जाता है, यहाँ नवरात्रि की तरह विशेष उत्सव के मौकों पर एक सजावट देखतें बनता है।
मानसून के बाद यह यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है।
मंदिर के निकट सुंदर झरना बहती है, जो इस जगह को और अधिक आकर्षक बना देता है झरना इस गंतव्य को पूरे परिवार के लिए एक पसंदीदा पिकनिक स्पॉट बनाने पूर्ण प्रवाह में है।
झरना मंदिर में प्रवेश करने से पहले एक डुबकी लेने के लिए सबसे अच्छी जगह है
आसानी से सुलभ, वाहनों रायपुर से जतमई मंदिर के लिए उपलब्ध हैं।
जतमई जलप्रपाई
गरियाबंद में रायपुर से 85 किमी की दूरी पर स्थित है।
एक छोटा सा जंगल के खूबसूरत स्थलों के बीच सेट, जतमई मंदिर माता जतमई के लिए समर्पित है।
मंदिर खूबसूरती से कई छोटे शिखर या टावरों और एक एकल विशाल टॉवर के साथ ग्रेनाइट के बाहर खुदी हुई है।
मुख्य प्रवेश द्वार के शीर्ष पर, एक पौराणिक पात्रों का चित्रण भित्ति चित्र देख सकते हैं।
जतमई की पत्थर की मूर्ति गर्भगृह के अंदर रखा गया है।
मलजकुण्डलम जलप्रपात
यह जल प्रपात कांकेर जिला मुख्यालय से दक्षिण-पश्चिम में 17 कि.मी. की दूरी पर दूधनदी पर स्थित है।
यहां पहाड़ी पर स्थित एक कुंड से नीचे गिरती जलधारा अलौकिक दृश्य पैदा करती है।साफ-सुथरा जल नीचे गिरते समय दूधिया धारा का अहसास कराता है।
चर्रे-मर्रे जलप्रपात
नारायणपुर के अंतागढ़-आमाबेड़ा वनमार्ग पर पिंजारिन घाटी में यह जलप्रपात स्थित है ।
उत्तर पश्चिम दिशा में जलप्रपात का गिरता हुआ पानी अलग-अलग कुंडों के रूप में एकत्रित होकर दक्षिण दिशा में लंबा फासला तय कर कोटरी नदी में मिलता है ।
खुरसेल जलप्रपात
छत्तीसगढ़ राज्य के नारायणपुर ज़िले में अवस्थित है।
इस पर्वतीय जलप्रपात का प्राकृतिक सौंदर्य बहुत ही ख़ूबसूरत है।
नारायणपुर ज़िले में स्थित खुरसेल घाटी अंग्रेज़ों के समय से ही अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए काफ़ी प्रसिद्ध रही है।
यहाँ गुड़ाबेड़ा से करीब 9 कि.मी. की दूरी पर स्थित खुरसेल जलप्रपात में करीब 400 फुट की ऊंचाई से गिरता हुआ जल कई खण्डों में कुण्डों का निर्माण करता है।
इस स्थान पर जहाँ एक ओर वृहत आकार के शिलाखण्डों की सुदरता है तो दूसरी ओर तेज चट्टानी ढाल से नीचे गिरता हुआ जल सुंदर नज़ारा प्रस्तुत करता है।
बस्तर जिला का जलप्रपात

चित्रकोट जलप्रपात
जगदलपुर से 40 कि.मी. और रायपुर से 273 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा, सबसे चौड़ा और सबसे ज्यादा जल की मात्रा प्रवाहित करने वाला जलप्रपात है। यहां इंद्रावती नदी का जल प्रवाह लगभग 90 फुट ऊंचाई से नीचे गिरता है। भारतीय नियाग्रा के नाम से प्रसिद्घ चित्रकोट वैसे तो प्रत्येक मौसम में दर्शनीय है, परंतु बरसात के मौसम में इसे देखना रोमांचकारी अनुभव होता है। बारिश में ऊंचाई से विशाल जलराशि की गर्जना रोमांच और सिहरन पैदा कर देता है।
चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन विनमान है, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देती है।
यह भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है । इसे भारत के नियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है । इसकी चौड़ाई 300 फुट मानी जाती है ।
तीरथगढ जलप्रपात
कांगेर घाटी के जादूगर के नाम से मशहूर तीरथगढ़ जलप्रपात जगदलपुर से 29 किमी. दूरी पर स्थित है । यह राज्य का सबसे ऊंचा जलप्रपात है यहां 300 फुट ऊपर से पानी नीचे गिरता है
कांगेर और उसकी सहायक नदियां मनुगा और बहार मिलकर इस सुंदर जलप्रपात का निर्माम करती है।
विशाल जलराशि के साथ इतनी ऊंचाई से भीषण गर्जना के साथ गिरती सफेद जलधारा यहां आए पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है।
तीरथगढ़ जलप्रपात को देखने का सबसे अच्छा समय बारिश के मौसम के साथ-साथ अक्टूबर से अपैल तक का है।
तीरथगढ़ जलप्रपात को मूँगा इन्दुल जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है ।
इसे कांगेर घाटी के जादूगर के नाम से भी जानते है यह छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंचा जलप्रपात है । यह मुनगाबहार नदी पर बना हुआ है जो कि शबरी नदी के सहायक नदी है ।
कांगेर धारा जलप्रपात
कांगेर नदी पर स्थित है। बस्तर जिले में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित इस जलप्रपात की ऊंचाई 20 फुट है । कांगेर घाटी से होकर गुजरने वाली कांगेर नदी पर स्थित इस जलप्रपात का पानी स्वच्छ रहता है।
इस नदी के भैसादरहा नामक स्थान पर मगमच्छ प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं ।
चित्रधारा जलप्रपात
बस्तर जिले में जगदलपुर से 13 कि.मी. दूर करंजी गांव के समीप एक पहाड़ी से खंड-खंड में गिरते पानी वाला यह आकर्षक जलप्रपात है ।
यह जलप्रपात आसपास के लोगों के लिए पर्यटन का प्रमुख स्थल है।