मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस खेमों में सन्नाटे सी हालत है। पहले तो पार्टी उम्मीदवारों के चयन में पिछड़ी, फिर वरिष्ठ नेताओं के अहम की लड़ाई और मनमुटाव के चलते कार्यकर्ता भी सुस्त हो गए हैं। गुटबाजी में बंटी कांग्रेस के उम्मीदवार भी चुनाव प्रचार में अकेले पड़ गए हैं। बुंदेलखंड की सागर, दमोह और टीकमगढ़ सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारों के खेमों में खामोशी है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ही कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं, लेकिन कमलनाथ छिंदवाड़ा में अपने पुत्र को जिताने में व्यस्त हैं तो दिग्गी किले के रसूख बचाने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों नेता इसी वजह से अपने-अपने गुट के उम्मीदवारों के प्रचार के लिए नहीं निकल पा रहे हैं।
अरुण यादव गुना से उम्मीदवारी नहीं मिलने के बाद चुनाव प्रचार में रूचि लेते नहीं दिख रहे। सुरेश पचौरी जैसे बड़े चेहरे भी कांग्रेस के पास नहीं बचे जो लोकसभा क्षेत्रों में प्रभाव रखते हों। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेताओं में मची भगदड़ और बिखराव की झड़ी के बाद कांग्रेस सुस्त नजर आने लगी है। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने की शुरुआत से ही पिछड़ी कांग्रेस अब प्रचार में भी काफी पीछे रह गई है। वहीं, खजुराहो सीट पर सपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त होने से बीजेपी मिशन-29 को पूरा करने में दोगुने जोश में है।