
सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हुई है तो दूसरी ओर जांजगीर-चाम्पा जिले के किसान बोनस की राशि पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। किसान अधिकारियों को ज्ञापन सौंप रहे हैं, लेकिन केवल उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है। सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी बोनस की राशि कब तक मिलेगी यह बताने की जगह ग्रामीणों को ग्रामीण बैंक में पता करने की सलाह दे रहे हैं।
बोनस की राशि दिलाने पहल करने बजाय किसानों को सहकारी बैंक के अधिकारी दिग्भ्रमित कर रहे हैं। इस तरह अधिकारी अपना पल्ला झाड़ ले रहे है और किसान महीनों से दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। एक पीड़ित किसान ने बताया कि 2014-15 में सरकार द्वारा बोनस की राशि का वितरण किया गया था, लेकिन तहसील कार्यालय में फॉर्म को गलत भरा गया। इसके चलते बोनास राशि नहीं आई।
विडंबना यह है कि किसान को अब दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। किसान को अधिकारियों का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है और सहकारी बैंक के अधिकारी ग़ैरजिमेदाराना बयान दे रहे हैं। इससे किसान मानसिक रूप से प्रताड़ित और परेशान हैं और कई महीनों से चक्कर काटने मजबूर हैं। जांजगीर-चाम्पा के विधायक व्यास कश्यप ने भी व्यवस्था पर सवाल उठाया है और किसानों के हक की राशि देने पहल करने की बात कही है।