किसान आंदोलन का समाप्त करवाने की सरकार पहल पर किसान संगठन पानी फेर दे रहे है। गत दिनों नौवें दौर की वार्ता में सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि एक से डेढ साल तक कानून के अमल पर रोक लगा देते हैं और इस दौरान किसान संगठन कानून के हर बिंदू पर सरकार से चर्चा कर ले। वार्ता के दौरान जो जरूरी संशोधन आएगा इसे कर दिया जाएगा। किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि वह अन्य सहयोगियों से बात कर निर्णय लेंगे। इसके बाद वार्ता की अगली तिथि 22 जनवरी तय की गई। मगर बैठक से पहले ही किसान संगठनों ने साफ कह दिया कि वह कानून रद़द करने से कम पर नहीं मानेंगे।
केंद्र सरकार की तरफ से बुधवार को वार्ता के दौरान किसान संगठनों को जो प्रस्ताव दिया था उसे संयुक्त किसान मोर्चा ने खारिज कर दिया है। इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चे की बैठक हुई। बैठक में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, सभी किसानों के लिए सभी फसलों के लिए लाभप्रद एमएसपी के लिए एक कानून लागू करने को इस आंदोलन की मुख्य मांगों को दोहराया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन में शहीद हुए 147 किसानों को श्रद्धांजलि भेंट की। साथ ही कहा कि इन किसानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।
इससे पहले सुबह दिल्ली पुलिस के साथ हुई बैठक में किसान संगठनों ने साफ कह दिया कि वह रिंग रोड पर ही ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को फिर वार्ता होनी है। एक किसान नेता ने कहा था कि हम 22 जनवरी को सरकार से मिलेंगे, मैं इस बैठक को सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण बैठक कहूंगा, आखिरकार सरकार इस मुद्दे को हल करने के मूड में है। अभी तक गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर परेड आयोजित करने के अपने फैसले पर हम अडिग हैं।’ किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहां ने आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद कहा कि जब तक तीन कानून रद्द नहीं होते तब तक आंदोलन जारी रहेगा।