परिजन बोले- आश्रम अधीक्षिका की है लापरवाही
जगदलपुर/गादीरास। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर मेडिकल कॉलज में इलाज के दौरान 12 साल के एक छात्र ने दम तोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि छात्र पहले मलेरिया का शिकार हुआ फिर उसे डेंगू हो गया था। बुधवार की सुबह आनन-फानन में परिजनों ने उसे मेकाज में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान बुधवार की शाम को ही बच्चे की मौत हो गई। इधर बच्चे के परिजनों ने आश्रम की अधीक्षिका पर लापरवाही का आरोप लगाया है। वहीं बस्तर में डेंगू से यह पहली मौत हुई है। छात्र का नाम मनीष मंडावी (12) है जो सुकमा जिले के चिंगावरम का रहने वाला है। मनीष दंतेवाड़ा जिले के चोलनार के माता गायत्री आश्रम में रहकर कक्षा चौथी में पढ़ाई कर रहा था। आश्रम समिति के सचिव कामता डहरिया ने बताया कि 2 नवंबर को दीवाली की छुट्टी में परिजन बच्चे को लेकर घर चले गए थे। जिसे कुछ दिन बाद वापस आश्रम में छोड़ा गया था। आश्रम के बच्चों ने बताया कि घर से आने के 1-2 दिन बाद मनीष बीमार हो गया था। बच्चों ने बताया कि आश्रम के एक दो छात्र और बीमार हैं।
परिजन बोले- जल्दी पता चलता तो हम करवाते इलाज
बच्चे के परिजनों ने आश्रम अधीक्षिका मीनाक्षी नेताम पर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिजनों ने कहा कि अधीक्षिका ने मनीष को आश्रम में ही रखी दवाइयां दी थी। लेकिन उसका अस्पताल में इलाज नहीं करवाई। इलाज के अभाव में मनीष ने दम तोड़ा है। यदि हमें पहले ही बता दिया होता तो हम उसका इलाज करवा देते। इधर इस संबंध में अधीक्षिका ने कहा कि इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। बच्चा बीमार हुआ था तो मैंने दवाई दी थी। जिसके बाद उसे परिजन घर लेकर चले गए थे।
सुकमा में चल रहा था इलाज
मनीष की जब तबीयत बिगड़ी तो आश्रम अधीक्षिका ने परिजनों से संपर्क कर जानकारी दी। जिसे परिजन घर लेकर आ गए थे। मनीष को सुकमा के जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां उसका इलाज चल रहा था। मलेरिया टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद इसे डेंगू भी हो गया था। हालत में जब कोई सुधार नहीं आया तो डॉक्टरों ने मेकाज रेफर कर दिया था। बताया जा रहा है कि बच्चे के शरीर में ब्लड की कमी भी हो गई थी। और इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।