नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण के बाद उसके मुआवजा देने में गड़बड़ी करने के मामले में जल संसाधन विभाग के तात्कालीन कार्यपालन अभियंता समेत दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा के तहत प्राथमिकी की गई है। मुआवजा की अन्य हिस्सेदारों ने इस मामले को लेकर न्यायालय में परिवाद दायर किया था। जिसपर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी करने का आदेश दिया। जिसके आधार पर दुर्ग कोतवाली पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी कर जांच शुरू की है।
पुलिस ने बताया कि ग्राम पुरई सोहद्रा बाई और उसकी बहन शांति नगर चिखली जिला राजनांदगांव निवासी प्रमिला बाई ने संयुक्त रूप से परिवाद दायर किया था। पुलिस ने बताया कि दोनों परिवादी व उसकी मां शामबती और भाई आरोपित मदनलाल क्षत्रिय के नाम पर ग्राम रिसामा में 0.47 हेक्टेयर उनकी पैतृत जमीन है। तांदुला जलाशय परियोजना के तहत नहर निर्माण के लिए उक्त जमीन में से 0.04 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। जिसके एवज में 16 लाख रुपये का मुआवजा शासन की ओर से स्वीकृत किया गया था। इसमें चारों को चार चार लाख रुपये मिलने थे। जल संसाधन विभाग के तात्कालीन कार्यपालन अभियंता को मुआवजा राशि जारी करने के लिए अधिकृत अधिकारी बनाया गया था। आरोपित मदनलाल क्षत्रिय ने अपनी दोनों बहनों और मां को 28 दिसंबर 2021 को रजिस्ट्रार आफिस में बुलवाया और उनसे छलपूर्वक जमीन की रजिस्ट्री करवा ली। मुआवजा राशि जारी होने के बाद जब दोनों परिवादी ने अपने भाई से अपने हिस्से के रुपये मांगे तो आरोपित ने टाल मटोल शुरू कर दिया। जबकि उसने जल संसाधन विभाग के तात्कालीन कार्यपालन अभियंता से मिलीभगत कर मुआवजा का चेक अपने नाम से बनवा लिया था। दोनों परिवादी ने एसपी आफिस में भी इसकी शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की। जिसके बाद दोनों ने न्यायालय की शरण ली थी। जिस पर न्यायालय ने दोनों आरोपितों के खिलाफ प्राथमिकी करने का आदेश दिया है।