देश के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की उपस्थिति 50% से भी कम है। यानी नियुक्त किए गए शिक्षक और रेजिडेंट डॉक्टर्स क्लासें नहीं ले रहे हैं। यह खुलासा 27 राज्यों के 256 मेडिकल कॉलेजों पर किए गए असेसमेंट के बाद किया गया है।
नेशनल मेडिकल कमीशन की रिपोर्ट में सामने आया कि वर्ष 2022-23 के लिए मान्यता देने या मान्यता जारी रखने के लिए किए गए असेसमेंट में पता चला कि मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक या सीनीयर रेजिडेंट्स अटेंडेंट की 50% की अनिवार्यता को पूरा नहीं कर रहे हैं। इन कमियों को पूरा करने के लिए कॉलेजों को चेतावनी भी दी गई थी। इसके बावजूद इसका ख्याल नहीं रखा गया।
समस्या केवल अटेंडेंट कम होने की नहीं है, बल्कि शिक्षकों और रेजिडेंट डॉक्टर्स इमरजेंसी डिपार्टमेंट भी रेगुलर नहीं जाते हैं। कमीशन के अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड ने कहा कि इमरजेंसी डिपार्टमेंट में स्टूडेंट्स जाते ही नहीं, क्योंकि वहां उन्हें कैज्युलटी मेडिकल ऑफिसर के अलावा कोई नहीं मिलता। इसी वजह से इमरजेंसी डिपार्टमेंट में पोस्टिंग स्टूडेंट्स के लिए ब्रेक की तरह होती है।
गौर हो कि साल 2022-23 बैच तक मेडिकल कॉलेजों में इमरजेंसी मेडिसिन स्पैशेलिटी होना जरूरी था। मगर फैकल्टी की कमी वजह से यह अनिवार्यता हाल ही में खत्म कर दी है।