आज महिलाएं हर क्षेत्र में कामयाबी का परचम लहरा रही है। मगर देश में अभी भी कुछ ऐसा समाज है, जहां महिला को परखा जाता है। महाराष्ट्र के कंजरभाट समाज में ऩई नवेली दुल्हनों की कौमार्य परीक्षा यानी खुद का किसी से शारीरिक संबंध न बनाए जाने की परीक्षा देनी होती है। अगर वह इस परीक्षा में पास नहीं हुई तो न केवल उसे प्रताडित किया जाता है, बल्कि एक ही रात में तलाक तक हो जाता है। इतना ही नहीं उसका समाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है।
महाराष्ट्र के बाहर इस समाज को सांसी समाज कहा जाता है। यह समुदाय विशेषकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा में रहता है। इनकी अनुमानित आबादी करीब 15 से 20 लाख है, जिसका सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान और मध्य प्रदेश में रहता है। इस समाज में आज भी जिन-जिन लड़कियों की शादी होती हैं, उन सभी को ‘कौमार्य परीक्षण’ देना होता है। समाज में किसकी पत्नी पवित्र है और किसकी नहीं, यह जांचने का अधिकार पंचायत को है। अगर उसका किसी से शादी से पहले कोई शारीरिक संबंध था या नहीं यह तय करने का ठेका भी पंचायत का ही है।
कंजरभाट समाज में पारंपरिक तौर पर शादी होने के बाद जात पंचायत बैठती है। जो वर और वधु पक्ष से 5000-5000 रुपये लेती है और दोनों को कौमार्य परीक्षा के लिए तैयार करती है। इसके बाद दूल्हा और दुल्हन को सुहागरात के लिए एक कमरे में भेजा जाता है। कमरे को खासतौर पर इसी के लिए तैयार किया जाता है। दूल्हे को साथ में सफेद चादर भी दी जाती है। सफेद चादर यानी जिसपर शारीरिक संबंधों बनाने के बाद खून के धब्बे दिखाई देने चाहिए। इस परीक्षा के लिए साथ में कुछ रिश्तेदार भी जाते हैं जो कमरे के बाहर खड़े रहते हैं। इस पूरे जांच के लिए आधे घंटे का समय दिया जाता है।
परीक्षा के दौरान लोग बार-बार दरवाजा खटखटाकर ये पूछते रहते हैं कि कोई मदद तो नहीं चाहिए। मदद यानी लड़का-लड़की अगर यौन संबंध बनाने में परेशानी महसूस करते हैं तो उन्हें मदद के लिए दवाएं दी जाती हैं और पॉर्न फिल्म तक दिखाई जाती है। इतना ही नहीं बाहर खड़े ‘अनुभवी’ लोग तो अंदर आकर डेमो तक करने के लिए तैयार रहते हैं कि ऐसे नहीं ऐसे करो।
सुबह जात पंचायत फिर बैठती है। दूल्हा-दुल्हन समेत परिवारवाले सभी वहां मौजूद होते हैं और सभी के सामने पंचायत दूल्हे से पूछती है कि तेरा ‘माल’ कैसा था? माल यानी वो लड़की जिससे शादी हुई है। सफेद चादर पर पड़े खून के धब्बों से उस महिला के चरित्र की परीक्षा की जाती है। खून के धब्बे ही गवाही देते हैं कि लड़की कैसी है। धब्बे हैं तो लड़का जवाब देता है ‘मेरा माल खरा-खरा-खरा’ और धब्बे नहीं हैं तो ‘मेरा माल खोटा-खोटा-खोटा’।
सफेद चादर पर अगर खून का धब्बा न हो तो लड़की को चरित्रहीन समझ लिया जाता है। तब उसी जगह लड़की के घरवाले लड़की को मारते-पीटते हैं और उससे पूछते हैं कि उसने किसके साथ ये सब किया था। समाज के ही सामने लड़की और लड़कीवालों के परिवार की बेइज्जती हो जाती है। जिस लड़की के हाथों की मेहंदी भी नहीं छूटी हो उसे सिर्फ इसलिए मारा-पीटा जाता है तो सोचिए ससुराल वाले उसका क्या हाल करते होंगे। कई मामलों में तो उसी वक्त लड़की से तलाक ले लिया जाता है।