
समाजसेवी व अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव द्वारा छत्तीसगढ़ में पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन न होने संबंधी एक जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की डिवीज़न बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि छत्तीसगढ़ में पैसेंजर ट्रेन क्यों नही चलाई जा रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 21 दिनों के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि कोरोना के कारण मार्च से पूरे देश मे केंद्र सरकार के निर्देश पर रेलवे द्वारा ट्रैन का संचालन बंद कर दिया गया था। उसके बाद लाकडाउन के समय श्रमिक स्पेशल ट्रेन राज्य सरकारों की मांग पर कुछ दिनों तक चलाई गई। उसके बाद आज तक पूरे देश में करीब 151 स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है। ट्रेन का नंबर बदल दिया गया है, जबकि ट्रेन का नाम औऱ रूट वही रखा गया है, किराया बढ़ा दिया है।
याचिका के अनुसार रेलवे ने यात्रियों को दी जाने सुविधा को समाप्त कर दिया है। इसके चलते बुजुर्ग, सैनिक विधवा, दिव्यांगजन सुविधा से वंचित हो गए हैं। सभी ट्रेनों में सामान्य श्रेणी की बोगी हटा दी गई है। सामान्य वर्ग के अलावा गरीब और ग्रामीणों को जरूरत में भी महंगी यात्रा संभव नहीं है। पैसेंजर ट्रेन नहीं चलाने से छत्तीसगढ़ के आदिवासी और ग्रामीणों को परेशानी हो रही है। केंद्र सरकार ने महामारी अधिनियम के तहत जारी निर्देश में कहा है कि देश मे कोई भी कही भी बिना रोक-टोक यात्रा कर सकता है। पैसेंजर ट्रेन छत्तीसगढ़ और आसपास के लिए क्यों नही चलाई जा रही ही। संविधान में प्रदत अनुछेद 19(1)(d) का स्पष्ट उल्लंघन है। डिवीजन बेंच ने इस सम्बंध में केंद्र सरकार के वकील व अतिरिक्त सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा से जवाब तलब किया। मिश्रा ने कहा कि महामारी अधिनियम के अनुसार नियम बनाये गए हैं। मामले की सुनवाई के बाद डिवीज़न बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जवाब के लिए तीन सप्ताह की मोहलत दी है।