कोरोना संकट के दौर में खुदरा लोन ग्राहकों को ईएमआइ भुगतान स्थगित रखने की जो छूट मिली थी, वह सोमवार को खत्म हो गई है। रविवार रात तक किसी भी बैंक या बैंकिंग क्षेत्र के नियामक आरबीआइ ने यह संकेत नहीं दिया है कि लोन मोरेटोरियम की राहत जारी रखी जाएगी। बहरहाल, कई बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचना भी भेजनी शुरू कर दी है कि उन्हें अपनी ईएमआइ के बराबर रकम अपने खाते में अनिवार्य रूप से रखनी चाहिए। हालांकि कई बैंकों में आरबीआइ के निर्देश के मुताबिक सावधि कर्ज वाले पर्सनल लोन ग्राहकों को मासिक किस्त अदायगी की नई सुविधा पर विचार किया जा रहा है।
उधर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह गुरुवार को बैंकों व एनबीएफसी प्रमुखों की एक विशेष बैठक बुलाई है। बैठक का प्रमुख एजेंडा बकाया कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर है। वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि इसमें कॉरपोरेट लोन के साथ ही होम, ऑटो और पर्सनल लोन जैसे रिटेल लोन के बारे में भी विमर्श किया जाएगा ताकि बैंक ग्राहकों को राहत देने संबंधी कोई नियम बना सकें। इस बैठक में कर्ज अदायगी में राहत पाने संबंधी समग्र नीति बनाने, राहत पाने वाले ग्राहकों की पहचान करने को लेकर एक साझा नियमावली बनाने जैसे मुद्दों पर विचार किया जाएगा। इसमें कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर आरबीआइ के निर्देश के बाद बैंकों की तैयारी पर भी विमर्श किया जाएगा।
गौरतलब है कि एचडीएफसी बैंक, एसबीआइ, पीएनबी जैसे दिग्गज बैंकों के प्रमुख कह चुके हैं कि मोरेटोरियम की अवधि को बढ़ाया जाना मौजूदा समस्या का समाधान नहीं है। वहीं, लोन मोरेटोरियम इस वर्ष दिसंबर तक बढ़ाए जाने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट भी तैयार हो गया है। इसमें याचिकाकर्ता का कहना था कि आरबीआइ ने जिस संकट से ग्राहकों को बचाने के लिए मोरेटोरियम की सुविधा दी थी, वह संकट अभी ग्राहकों के सिर से टला नहीं है।