
शोधार्थियों ने चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया कि कोलोरेक्टल कैंसर के ट्यूमर में अमोनिया के उच्च स्तर की मौजूदगी टी कोशिकाओं को नष्ट करती है तथा इम्यूनोथेरेपी में बाधा पैदा करती है। अमेरिका स्थित मिशिगन रोगल कैंसर सेंटर के नवीन अध्ययन में दावा किया गया है कि अमोनिया टी कोशिकाओं के विकास को रोकता है, जो ट्यूमर के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं। अध्ययन निष्कर्ष सेल मेटाबोलिज्म नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययन के लेखक हन्ना बेल के अनुसार, “शोध के दौरान हमें पता चला कि अमोनिया किस प्रकार टी कोशिकाओं की कार्य प्रणाली में बाधा पैदा करती है। हमने पाया कि अमोनिया के स्तर को कम करने वाली एफडीए से मान्यता प्राप्त दवाएं कोलोरेक्टल कैंसर समेत अन्य प्रकार के ट्यूमर के आकार को कम कर देती हैं। ये दवाएं इम्यूनोथेरेपी के साथ भी तालमेल बैठाती हैं। चूहों पर जब इम्यूनोथेरेपी के साथ-साथ अमोनिया को कम करने वाली दवाओं का इस्तेमाल किया गया, तो सकारात्मक परिणाम सामने आए।”
होरेस डब्ल्यू. डेवनपोर्ट कालेजिएट में फीजियोलाजी के प्रोफेसर व अध्ययन के प्रथम लेखक यात्रिक शाह के अनुसार, “ज्यादातर कोलोरेक्टल कैंसर प्रतिरक्षा चिकित्सा के प्रति असंवेदनशील होते हैं। हमने पाया कि इस प्रतिरोध के लिए अमोनिया का उच्चस्तर जिम्मेदार हो सकता है।” बड़ी आंत में कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास को कोलोरेक्टल कैंसर के रूप में जाना जाता है।