कोरोना की जंग में हर कोई जीतना चाहता है। समय रहते अगर इलाज शुरू हो जाए और एहतीयात बरती जाए तो जल्द ही आप कोरोना वॉरिर्यस बनकर एक बार फिर अपने लोगों के बीच सामान्य तरह से पहले की तरह जीवन जी सकते हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि संक्रमित होने के बाद लोग लापरवाही करते हैं, इसके लिए आवश्यक है कि आपको वो सभी जानकारी हो जो आपको यह जंग जीतने में सहयोग देगी। आईए जानें भर्ती के लिए क्या प्रक्रिया अपनाएं कोरोना पेशेंट।
इन जगहों में हो रहा है कोविड टेस्ट
शहर में जांच के लिए चलित वैन भी चलाई जा रही है। जो अलग-अलग ऐरिया में जाकर लोगों के सैंपल लेती है और जांच करती है। इसके अलावा कालीबाड़ी, चौक, एम्स, सड्डू, माना में भी कोविड टेस्ट किया जा रहा है। जांच के अडतालिस घंटे बाद रिपोर्ट आती है।
अस्पताल भर्ती की ये है प्रक्रिया:
डॉक्टर विजय शंकर मिश्रा के अनुसार कोरोना पॉजिटीव आने के बाद मरीज को इसकी सूचना फोन द्वारा दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीज को एम्बुलेंस लेने आती है। गाड़ी आने की जानकारी विभाग द्वारा दी जाती है। निजी अस्पतालों में इलाज चालू होने के बाद से अब मरीज से पूछा जाता है कि वह सरकारी अस्पताल में जाना चाहते हैं कि निजी अस्पताल में। अगर मरीज सरकारी अस्पताल में जाने की इच्छा जाहिर करते हैं तो बैड की स्थिति को देखते हुए मरीज को किसी भी सरकारी अस्पताल मे भी दाखिला कराया जाता है। जहां उनका इलाज शुरू हो जाता है।
कर सकते हैं 104 में फोन
मरीज या उसके परीजन चाहें तो 104 में फोन कर भी एंबुलेंस भेजने की सूचना दे सकते हैं। लेकिन बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए 104 में सूचना देने के बाद भी एंबुलेंस आने में काफी समय लगता है। ऐसी स्थिति में मरीज चाहे तो खुद जाकर भी अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं।
बिना लक्ष्ण वाले मरीज अपनाएं ये तरीका:
बढ़ते केस को देखते हुए राज्य सरकार ने अब बिना किसी लक्ष्ण वाले मरीज को घर में होम आइसोलेशन की अनुमति दे दी है। ऐसी परिस्थति में आप घर में रह कर ही अपना इलाज करा सकते हैं।
- संक्रमित के लिए आवश्यक है कि वह ऐसे कमरे में रहे जहां अटैच बाथरूम है। उसे 14 दिनों के लिए उस कमरे में ही बंद रहना होगा।
- इसके लिए आवश्यक है कि आप डॉक्टर से संपर्क कर चिकित्सकीय सहमती पत्र तैयार कराएं।
- इस पत्र द्वारा बताया जाता है कि आप किस डॉक्टर के अंडर टेकिंग में हैं। इसके बाद डॉक्टर की जिम्मेदारी हो जाती है कि वह मरीज का लगातार अवलोकन करे।
- खांसते व छींकते वक्त रूमाल का उपयोग करें। इसे रोज धोकर सुखाएं।
- तरल पदार्थ का उपयोग इस दौरान ज्यादा करना चाहिए।
- घर के अन्य व्यक्तियों से दूरी बना कर रखें।
- मरीज का आॅक्सिजन लेवल समान्य रहना आवश्यक है। इसके अलावा डॉक्टर दवा भी अपने सुपरविजन में देते हैं।
- होमा आइसोलेशन के अगर मरीज की तबियत बिगड़ती है तो उसे अस्पताल में भर्ती करना भी डॉक्टर की जिम्मेदारी होती है।