पिछले 15 दिनों से चलने वाला पित्र पक्ष आज समाप्त हो रहा है। लोग पितृ विसर्जन आज यानि 17 सितम्बर गुरुवार के दिन करेंगे। इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या या पितर विदा भी कहा जाता है।
पितृपक्ष के अंतिम दिन का श्राध्द सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि , यदि कोई सम्पूर्ण तिथियों पर श्राद्ध करने में सक्षम न हो। या किसी कारण वश उपरोक्त पितर पक्ष के 15 दिन में किसी पितर का श्राद्ध तर्पण नही कर पाया हो या किसी की तिथि ज्ञात न हो। तो उन समस्त पितरो के निमित्त इस अमावस्या तिथि को ही श्राध्द तर्पण किया जाता है इसीलिए इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। पंडित मनोज शुक्ला का कहना है कि पित्र के आखरी दिन लोग अपने पूर्वजों का धयान कर ब्राम्हण को भोज करते हैं दान देते हैं। पितरों के नाम से सीधा निकल जाता है, जिसमे समर्थ के अनुसार लोग अन्न और भोजन में उपयोग होने वाले सभी चीजों को शामिल करते हैं।
पित्र पक्ष में लोगों के नाम आएगा रिश्तेदारों को परिचित ब्राह्मणों को भोज के लिए भी बुलाते हैं लेकिन इस बार करो ना लोगों ने पितरों की विदाई भी सादगी पूर्वक की।