उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ कई अजीबोगरीब घटनाएं सामने आने लगी हैं। इस चुनाव में मतदान से पहले ही सीटों के आरक्षण की बदली तस्वीर ने कई दिग्गज प्रत्याशियों को चुनाव से पहले ही पटखनी दे दी है। कई नेताओं की लंबे समय तक की गई समाजसेवा व्यर्थ गई। मगर लेकिन बलिया के ग्राम पंचायत शिवपुर कर्णछपरा में एक प्रत्याशी ऐसे इसका अलग ही तोड निकाला। नेता जी को आरक्षण भी मात नहीं दे सका। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने वाले जितेंद्र सिंह हाथी ने अपनी सीट को महिला के लिए आरक्षित हुआ देखकर झटपट शादी रचा ली और अब अपनी पत्नी को चुनाव लडवाएंगे।
हाथी सिंह पांच साल से प्रधान पद के लिए तैयारी कर रहे थे। यहां सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गई। इस वजह से उनका पूरा दांव विफल होने लगा। उनकी पांच साल की सेवा व्यर्थ होने लगी। इस बीच समर्थकों ने उन्हें शादी करने का सुझाव देकर कहा कि अपनी पत्नी को चुनाव लडवा दें। इसके बाद उन्होंने आनन-फानन में छपरा के धर्मनाथ मंदिर में जाकर एक युवती से शादी रचा ली। अब वह अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुट गए हैं। वह 2015 में भी प्रधान पद के उम्मीदवार थे, लेकिन उपविजेता रहे। 26 मार्च को शादी रचाने के बाद अब शिवपुर कर्णछपरा पंचायत में चुनावी मैदान पूरी तरह सज चुका है।
जितेंद्र सिंह हाथी ने कहा कि उन्हें 13 अप्रैल को नामांकन से पहले शादी करनी थी। हालांकि आजीवन शादी नहीं करने का संकल्प लिया था, अपना पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित कर रखा था, लेकिन आरक्षण के चलते मुझे शादी करनी पड़ी। मेरी मां 80 साल की हैं और चुनाव नहीं लड़ सकती थीं।