चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के मद्देनजर भारत ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए कमर कस ली है। भारत ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर अब इजरायल में बने हेरॉन ड्रोन की मदद से निगरानी बढ़ा दी है। इजरायल में बने इन ड्रोन को दुनिया का बेस्ट हथियार माना जाता है। भारत ने साल 2015 में इजरायल से हेरॉन ड्रोन की डील की थी। हालांकि उस समय यह डील इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के लिए की गई थी, लेकिन साल 2017 में सेना के लिए भी ऐसे ड्रोन खरीदने के लिए डील की गई थी। भारत और चीन के बीच पांच मई से पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील पर टकराव जारी है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के चार बिंदुओं पर टकराव जारी है। भारत ने जहां ड्रोन की मदद से एलएसी की निगरानी बढ़ाई है तो वहीं इलाके में इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) ने भी सेक्टर में कुछ और बटालियंस को भी शामिल कर दिया है। भारत और चीन के बीच करीब 3500 किलोमीटर लंबी एलएसी है। सरकार और मिलिट्री सूत्रों की तरफ से ड्रोन की मदद से निगरानी वाली बात की पुष्टि की गई है। 20 जून को सेना की मदद के लिए इलाके में आईटीबीपी की बटालियन को शामिल करने का फैसला लिया गया था।
सुरक्षा अधिकारियों को लेह स्थित 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की तरफ से स्थिति की जानकारी दी जा चुकी है। ड्रोन से निगरानी के अलावा भारत की तरफ से चीनी सेना की घुसपैठ को रोकने के लिए उस बल को तैनात कर दिया है जिसे पहाड़ों में लड़ाई का अच्छा-खासा अनुभव है। भारत की तरफ से यह कदम पिछले दिनों गलवान घाटी में हुए हिंसक टकराव के बाद उठाया गया है।
सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक भारत ने ऊंचाई पर युद्ध कर सकने में सक्षम खास बल को तैनात कर दिया है। सूत्रों की मानें तो चीन की तरफ से लगातार आक्रामकता बढ़ती जा रही है। जिस खास बल को पहाड़ों पर तैनात किया गया है उसके पास करीब एक दशक तक उत्तरी सीमा का अनुभव है। अब अगर चीन ने कोई हिमाकत की तो इसी बल को लड़ाई के लिए भेजा जाएगा। भारतीय सेना पहाड़ों की ऊंची चोटी पर युद्ध लड़ने में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। साल 1999 में हुई कारगिल की जंग में सेना की इस ताकत का लोहा दुनिया ने भी माना था।
30,000 फीट की ऊंचाई पर लगा सकता है दुश्मन का पता
– इस ड्रोन को इजरायल की एरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) ने तैयार किया है।
– इस ड्रोन को उन हथियारों से फिट किया जा सकता है जो जमीन पर आसानी से टारगेट को तबाह कर सकते हैं।
– अगर इसे दिल्ली से लॉन्च किया जाये तो सिर्फ 30 मिनट के अंदर बॉर्डर परश्मनों का पता लगा सकता है।
– इसके सेंसर इतने तेज हैं कि 30,000 फीट की ऊंचाई से यह दुश्मनों की जानकारी आसानी से मिल सकती है।
– इजरायल ने फरवरी 2015 में बंगलुरु के एरो-इंडिया शो में पहली बार हेरॉन टीपी ड्रोन का प्रदर्शन किया था।
– 11 सितंबर 2015 को रक्षा मंत्रालय ने 400 मिलियन डॉलर में 10 हेरॉन ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी।
– साल 2016 में जब भारत एमटीसीआर का सदस्य बना तो इस ड्रोन की खरीद का रास्ता भी खुल गया।